राजेश राठौर
EXCLUSIVE
स्वतंत्र समय, इंदौर
जिस तेजी के साथ इंदौर में कोरोना काल के बाद प्रापर्टी ( Property ) के भाव बढ़े थे, उससे कहीं ज्यादा तेज गति से इंदौर में प्रापर्टी के भाव औंधे मुंह गिर गए हैं। कालोनाइजर से लेकर किसान, प्रापर्टी ब्रोकर और इन्वेस्टर दिवालिया होने की कगार पर हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि जरूरत से ज्यादा प्रापर्टी की खरीदी-बिक्री होना और गुंडे, बदमाश, सटोरिए की कालोनियों में लोगों ने मुगालते में आकर प्लाट, फ्लैट, मकान खरीद लिए। अब सब के सब सिर छुपाते हुए घूम रहे हैं। इंदौर शहर से देवास रोड, उज्जैन रोड, महू रोड, खंडवा रोड, धार रोड से लेकर सुपर कारिडोर और बायपास के आसपास 10-15 किलोमीटर तक कालोनाइजरों ने लोगों को बेवकूफ बनाते हुए प्लाट बेच दिए, तो कुछ लोगों ने फ्लैट, मकान और फार्म हाउस तक बेच दिए।
तीन महीने से Property के भाव लगातार गिर रहे
तेजी से पैसा कमाने के चक्कर में अंधभक्त की तरह इन्वेस्टर ने बुकिंग करा ली। अब दूसरी, तीसरी और चौथी किस्त जमा नहीं कर पा रहे हैं। इसी कारण ढेरों कालोनियों के भाव नीचे आ गए। जानकारों का कहना है कि पिछले तीन महीने से प्रापर्टी ( Property ) के भाव लगातार गिरते जा रहे हैं। आने वाले समय में और तेजी से भाव गिरेंगे। फर्जी कालोनाइजरों ने जिस तरीके से प्लाट बेचे थे उससे ही स्पष्ट था कि प्रापर्टी के भाव बहुत तेजी से गिरेंगे। प्रापर्टी के जानकारों का कहना है कि यह मंदी अगले 3 साल तक कम से कम रहेगी। शहर से दूर 15-20 किलोमीटर तक जितनी भी कालोनियां कटी हैं, 90 प्रतिशत कालोनियों में कालोनाइजरों ने गेट बनाने के अलावा कुछ नहीं किया। जो लोग खरीदार थे उन्होंने कुछ भी नहीं देखा और कालोनाइजरों के प्रभाव में आकर बुकिंग करा ली।
कई कालोनाइजरों ने टाउन कंट्री प्लानिंग से नक्शा मंजूर नहीं कराया, रेरा की अनुमति नहीं ली। कालोनी डेवलपमेंट की परमिशन ले ली लेकिन मौके पर एक ईंट भी नहीं लगाई। जिन लोगों ने तेजी से प्रापर्टी में पैसा लगाया, उनको अभी भी कालोनाइजर मूर्ख बना रहे हैं। जिन कालोनियों में 4000 रुपए फुट के भाव बताए जाते हैं वहां पर दो हजार रुपए फुट के भाव में भी कोई खरीदने वाला नहीं मिल रहा है। सरकारी जमीनों पर भी लोगों ने कालोनियां काट दी। जिला प्रशासन ने कई कालोनाइजरों को नोटिस दे दिए कि जब उन्होंने कालोनी विकास की अनुमति ली है तो कालोनी का विकास क्यों नहीं कर रहे। कालोनाइजर कहते हैं कि लोगों ने प्लाट की दूसरी-तीसरी किश्त भी जमा नहीं की तो हम किसान को पैसा कहां से दें और डेवलपमेंट किस पैसे से करें। जिला प्रशासन ऐसे सभी कालोनाइजरों को ब्लैकलिस्ट करके जल्द ही सूची सार्वजनिक करने वाला है।
दैनिक ‘स्वतंत्र समय’ अखबार पिछले 5 महीने से लगातार इंदौर में फर्जी तरीके से बिक रही प्रापर्टी खरीदने वालों को सावधान करता रहा है। आगे भी करता रहेगा, लेकिन सवाल इस बात का उठता है कि लोग कालोनाइजरों के कहने में आकर क्योंं फंस जाते हैं। इंदौर में एक लाख से ज्यादा फ्लैट और 5 लाख फुट एरिये से ज्यादा के प्लाट बिकाऊ हैं लेकिन कोई खरीदने वाला नहीं है। इंदौर के लोग जल्द पैसा कमाने के चक्कर में प्रापर्टी में इस कदर डूब गए हैं कि अब उनका निकलना मुश्किल है।
डायरी पर प्लाट खरीदने वाले तो कुएं में डाल रहे अपना पैसा
कई लोगों ने तो अपनी प्रापर्टी गिरवी रख दी है। कालोनाइजरों ने ब्याज पर पैसा ले रखा है। हम जल्द ही उन सभी कालोनियों की खबरें प्रकाशित करेंगे जहां पर कालोनी विकास की अनुमति दी गई, लेकिन कालोनाइजर ने कुछ नहीं किया। इंदौर के लोगों को अभी भी सावधान होने की आवश्यकता है। चोर, उठाईगिरे, लुच्चे-लफंगे की कालोनियों में प्लाट न खरीदें नहीं तो बर्बाद होना तय है। जो लोग डायरियों पर अभी भी प्लाट खरीद रहे हैं वो तो अपना पैसा कुएं में डाल रहे हैं। डायरी वालों की मदद करने से जिला प्रशासन से लेकर पुलिस तक ने साफ मना कर दिया है। जो लीगल तौर पर प्लाट, मकान और फ्लैट के सौंदे होंगे, उन्हीं की सुनवाई होगी। इंदौर में आसपास के जिलों के लोगों ने भी प्रापर्टी में बड़ा इन्वेस्टमेंट कर दिया है, वो सब भी तेजी से अपनी प्रापर्टी बेचने में लगे हुए हैं, लेकिन कोई खरीददार नहीं मिल रहा है।