इंदौर के रजत पाटीदार ने रचा इतिहास, RCB को दिलाई पहली IPL ट्रॉफी, राजवाड़ा पर जश्न की लहर

IPL 2025 का फाइनल मुकाबला क्रिकेट प्रेमियों के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ। जहां रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने 17 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार पहली बार इंडियन प्रीमियर लीग की ट्रॉफी पर कब्जा जमाया। अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेले गए इस रोमांचक मुकाबले में RCB ने पंजाब किंग्स (PBKS) को 6 रनों से हराया।

इस ऐतिहासिक जीत के पीछे सबसे बड़ा योगदान रहा इंदौर के रजत पाटीदार का, जिन्होंने पूरे टूर्नामेंट और खासकर फाइनल में बेहतरीन प्रदर्शन कर टीम की जीत सुनिश्चित की।

राजवाड़ा पर जश्न की लहर

RCB की ऐतिहासिक जीत के बाद इंदौर में जश्न का माहौल बन गया। शहर का दिल कहे जाने वाले राजवाड़ा चौराहे पर बड़ी संख्या में युवा इकठ्ठा हुए और जीत का जश्न मनाने लगे। जगह-जगह पटाखे फोड़े गए, ढोल-नगाड़ों की धुन पर युवाओं ने डांस किया और ‘भारत माता की जय’ के नारों से माहौल गूंज उठा। इंदौर के लिए यह पल बेहद गर्व का था, क्योंकि शहर के लाल रजत पाटीदार ने अपने शानदार प्रदर्शन से RCB को पहली बार विजेता बना दिया।

2008 से था ट्रॉफी का इंतज़ार

RCB की टीम 2008 से IPL का हिस्सा रही है और इससे पहले तीन बार (2009, 2011 और 2016) फाइनल तक पहुंची थी, लेकिन हर बार जीत दूर रह गई। विराट कोहली से लेकर फाफ डु प्लेसिस तक, कई बड़े नामों ने टीम की कमान संभाली, लेकिन ट्रॉफी की किस्मत से दूर ही रहे। लेकिन 2025 में किस्मत ने करवट ली, और इंदौर के रजत पाटीदार की अगुवाई में टीम ने इतिहास रच डाला।

जानकारी के मुताबिक, IPL 2024 के समाप्त होते ही टीम मैनेजमेंट ने रजत पाटीदार को संकेत दे दिए थे कि भविष्य में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। रजत ने तब कहा था कि वह पहले स्टेट टीम की कप्तानी करना चाहते हैं ताकि मैदान पर नेतृत्व करने का अनुभव और आत्मविश्वास मजबूत हो सके। यही परिपक्वता और धैर्य 2025 में फलीभूत हुआ और उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में अपनी कप्तानी और बल्लेबाज़ी दोनों से RCB को जीत की राह दिखाई।

रजत बने इंदौर के युवाओं के हीरो

RCB की जीत के बाद रजत पाटीदार न केवल टीम के हीरो बन गए, बल्कि पूरे इंदौर के लिए एक प्रेरणा बनकर उभरे। सोशल मीडिया पर उनकी जमकर तारीफ हो रही है। क्रिकेट प्रेमी उन्हें ‘गोल्डन बॉय ऑफ RCB’ कहकर पुकार रहे हैं। इंदौर में युवाओं के लिए यह पल न केवल खुशी का था, बल्कि यह साबित करने वाला भी था कि मेहनत, धैर्य और जज्बा हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।