राजवाड़ा पर बस स्टेण्ड तो बन नहीं पाया, तो Metro स्टेशन….?

विपिन नीमा, इंदौर

इस समय मेट्रो ( Metro ) रेल प्रोजेक्ट शहर का सबसे बड़ा हॉट इश्यू बन गया है। शहर की 70 प्रतिशत सामान्य और गरीब वर्ग के लोग सबसे ज्यादा खरीदी करने राजवाड़ा और उसके आसपास वाले बाजार में ही आते है। त्यौहारों के समय राजवाड़ा का क्या हाल होता है यह पूरा शहर जानता है। ऐसी स्थिति में मेट्रो को लाना कितना उचित है। इस पर विचार और गहन अध्ययन की आवश्यकता है।

Metro को लेकर इंजीनियर अतुल सेठ ने 8 बिंदु तैयार किए हैं

मेट्रो ( Metro ) को लेकर इंदौर के वरिष्ठ इंजीनियर अतुल सेठ ने कुछ महत्वपूर्ण 8 बिंदु तैयार किए है , जिसमें कष्ट भी है और निराकरण भी है और सुझाव भी। उन्होंने प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को अपने डेढ पेज के सुझाव की एक प्रति सौंपी है। इन सुझावों पर चर्चा करने के लिए विजयवर्गीय मेट्रो के अफसरों के साथ जल्द ही बैठक करने जा रहे है। उधर मेट्रो कम्पनी एमजी रोड का फिर से फिजिबिलिटी सर्वे शुरु करने की तैयारी कर रही है।

सालों से चल रही बसें पर राजवाड़ा स्टैंड नहीं बन पाया

राजवाड़ा पर सुबह से लेकर देर रात तक लोंगो व वाहनों की आवाजाही बनी रहती है। शहर के विभिन्न रूटों पर चलने वाली सिटी बसों में 30 से 35 बसे राजबाड़ा से प्रतिदिन हजारों यात्रियों को लेकर आती है और जाती है। राजवाड़ा महल के सामने एक पेड़ के नीचे से बसे खड़ी हो जाती है , क्योकि बस स्टैंड ही नहीं है। राजवाड़ा पर जगह नहीं होने के कारण ही कोई भी सरकारी एजेंसी राजवाड़ा पर यात्रियों के लिए बस स्टैंड नहीं बना सकी है। आज भी यात्री पेड़ के नीचे खड़े होकर बसों का इंतजार करते है। ऐसे भीड़ भरे बाजार में किस स्थान पर मेट्रो का अंडर ग्राउंड स्टेशन बनेगा। सालों पहले नगर निगम ने जब राजबाड़ा के मुख्य द्वार के सामने वाली सडक़ को आने जाने के लिए बंद कर दी थी तब क्या हाल हुआ था ये पूरा शहर जानता है।

सामान्य और गरीब वर्ग के लोग खरीदी करने एमजी रोड पर ही आते हैं

शहर का सबसे प्रमुख स्थल राजवाड़ा ऐसा स्थल है जहां पर दीपावली ही नहीं बल्कि सारे त्यौहारों का उत्साह यहीं बनता है। किसी भी धर्म या जाति कोई त्यौहार आता है तो सबसे ज्यादा माहौल राजवाड़ा पर ही दिखता है। त्योहार आते ही राजबाड़ा ओर उसके आसपास के बाजारो में भीड़ पडऩा शुरू हो जाती है। राजबाड़ा उद्यान के चारों तरफ दीवार के सहारे छोटे छोटे व्यापारी दुकान लेकर अपना पेट पाल रहे है। इसके अलावा फेरी वाले तथा छोटे छोटे बच्चे सजावट का सामान बेचते है। अब अगर राजवाड़ा पर मेट्रो स्टेशन बना दिया गया तो छोटे व्यापारियो के व्यपार – व्यवसाय का क्या होगा, और शहर की ये भीड़ कहा जाएगी। साल भर पहले जब राजबाड़ा पर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सडक़ निर्माण का काम चल रहा था तब राजबाड़ा की क्या स्थिति हो गई थी। एक से डेढ़ माह तक पूरे शहर ने परेशानी झेली थी। ऐसी स्थिति में मेट्रो को राजवाड़ा से दूर ही रखना चाहिए।

ये है परेशानी, निराकरण और सुझाव…

  1. इंदौर में मेट्रो अभी बाहर बाहर ही बन रही है, यह वर्तमान में गांधी नगर से लेकर सुपर कॉरिडोर से होते हुए, रेडिसन होटल और बंगाली चौराहे तक एलिवेटेड का निर्माण कार्य चल रहा है। यह निर्माण पूरा होने के बाद यहां से शहर की ओर मुड़ेगी और पत्रकार कालोनी चौराहा, पलासिया चौराहा होते हुए, हाईकोर्ट से अंडर ग्राउण्ड होगी ओर यहां से अंदर ही अंदर एयरपोर्ट तक जाएगी। एयरपोर्ट से आगे वापस बाहर निकलकर सुपर कॉरिडोर पर आएगी।
  2. मेट्रो जब शहर में प्रवेश करेंगी तो उसके लिए एमजी रोड स्थित इंद्रप्रस्थ टावर के आगे से ओपन खुदाई करना पड़ेगी , ओर इसके लिए शहर के व्यस्ततम एमजी रोड को इन्द्र प्रस्थ से हाईकोर्ट चौराहे तक बंद करना होगा।
  3. ओपन खुदाई से डेढ़ से दो साल तक शहर की जनता को परेशानी भोगना पड़ेगी , जो अकल्पनीय है । इससे एमजी रोड का टै्रफिक पूरी तरह बिगड़ जाएंगा।
  4. मेट्रो के लिए अंडर ग्राउंड के लिए 60 फुट गहराई पर 30 फुट चौडाई के लिए जमीन पर करीब करीब 100 फुट चौड़ाई में खुदाई होगी।
  5. वैसे ही यदि यह बन जाता है तो एमजी रोड पर फनल एरिया के बाद 100 फीट में से 30 फीट घटा कर दोनों और रोड के लिए मात्र 35 – 35 फूट ही जगह बचेगी जो भविष्य के ट्राफिक के मान से बहुत कम होगी।
  6. वर्तमान में यह मेट्रो रेल्वे स्टेशन, एयर पोर्ट ओर नया बस स्टैण्ड को कवर कर रही है, और करीब करीब 35 प्रतिशत ही मेट्रो शहर को कवर कर पाएगा।

अब कम्पनी को ये करना चाहिए…

  1. मेट्रो के रूट को यदि बंगाली चौराहे से और आगे बढ़ा कर पिपलियाहाना चौराहे तक ले जाए जाए, और वहां से कृषि महाविद्यालय वाले रोड से लगकर अंदर लिया जाए कृषि महाविद्यालय चोराहे के पहले इसे अंडर ग्राउंड कर दे। यह एक अच्छा रास्ता और तरीका हो सकता है। जहां चारों और खुली जगह भी है और ट्राफिक को भी बगैर अड़चन के काम किया जा सकता है। इसी तरह शिवाजी वाटिका से एम वाय अस्पताल के सामने एक स्टेशन अंडर ग्राउंड बन सकता है, और यहां से भी आगे होते हुए यह सरवटे बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन जहा भी उचित समझते हो वह आगे रूट लेकर शहर के मध्य से जैसा भी निकालना चाहे मेट्रो को निकल सकते हैं।
  2.  इससे 2 बड़े फायदे होंगे एक तो जिला कोर्ट जो नयी बन रही है वहां तक लोगों को आने जाने में सहायता मिलेगी और एम वाय के मरीजों को भी बहुत बड़ी राहत मिलेगी। इससे करीब करीब 25000 लोगों को शहर में रोज सुविधा मिल सकेगी। वहीं शहर के मध्य में खुदाई से होने वाली परेशानी से भी बचा जा सकेगा। लागत में जरूर थोड़ी वृद्धि होगी। मगर इससे मेट्रो की उपयोगिता बहुत बढ़ जाएगी और शहर के और नए इंदौर की बसाहट को जो बायपास की ओर होगी, उसे भी इससे सुविधा बढ़ेगी, और मेट्रो की पहुंच 50त्न से ज्यादा लोगों तक आसानी से हो सकेगी।