इंदौर और रतलाम के बीच यात्रा करने वाले लाखों यात्रियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। रेलवे ने बहुप्रतीक्षित इंदौर-रतलाम रेल लाइन दोहरीकरण परियोजना को गति देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। रेलवे बोर्ड ने 2024-25 के बजट में इस परियोजना के लिए 400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान किया है, जिससे इस पर अब तक कुल 783 करोड़ रुपये आवंटित हो चुके हैं।
इस अतिरिक्त बजट के आवंटन से 140 किलोमीटर लंबी इस परियोजना का काम तेज होने की उम्मीद है। वर्तमान में यह ट्रैक सिंगल लाइन का है, जिसके कारण ट्रेनों को क्रॉसिंग के लिए स्टेशनों पर लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। इससे न केवल यात्री ट्रेनों की समय-सारणी प्रभावित होती है, बल्कि मालगाड़ियों का संचालन भी बाधित होता है।
₹1497 करोड़ की संशोधित परियोजना
इस महत्वाकांक्षी परियोजना को वर्ष 2018-19 में मंजूरी मिली थी, तब इसकी अनुमानित लागत 1056 करोड़ रुपये थी। हालांकि, समय के साथ इसकी लागत में वृद्धि हुई और अब इसकी संशोधित लागत 1497 करोड़ रुपये हो गई है। इस पूरी परियोजना के तहत 14 बड़े और 101 छोटे पुलों का निर्माण भी किया जाना है।
भूमि अधिग्रहण लगभग पूरा
परियोजना के लिए सबसे बड़ी बाधा भूमि अधिग्रहण का काम भी अब अंतिम चरण में है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, लगभग 80 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। इसके लिए रेलवे ने इंदौर जिला प्रशासन को 80 करोड़ रुपये की राशि भी सौंप दी है। काम को चरणों में पूरा किया जाएगा, जिसकी शुरुआत लक्ष्मीबाई नगर से बारनगर तक के 33 किलोमीटर के हिस्से से होगी। इस खंड के लिए टेंडर प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
यात्रियों को होगा बड़ा फायदा
इस रेल लाइन के दोहरीकरण से मालवा क्षेत्र की कनेक्टिविटी में बड़ा सुधार होगा। इंदौर से दिल्ली और मुंबई जैसे प्रमुख महानगरों की ओर जाने वाली ट्रेनों का सफर तेज और सुगम हो जाएगा।
इसके मुख्य लाभ इस प्रकार हैं:
- ट्रेनों की औसत गति बढ़ेगी और यात्रा के समय में कमी आएगी।
- अधिक यात्री ट्रेनों का संचालन संभव हो सकेगा।
- मालगाड़ियों के लिए रास्ता साफ होगा, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
- ट्रेनों की क्रॉसिंग में लगने वाला समय समाप्त हो जाएगा।
स्थानीय सांसद शंकर लालवानी इस परियोजना के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे। बजट आवंटन के बाद उन्होंने इसे क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया। अधिकारियों का अनुमान है कि काम की मौजूदा गति को देखते हुए यह परियोजना अगले तीन वर्षों में पूरी हो सकती है।