विपिन नीमा, इंदौर
इंदौर ( Indore ) शहर के सबसे पॉश रेसीडेंसी एरिया, रेसीडेंसी कोठी, और रेसीडेंसी क्लब ये तीनों स्थल ऐसे है जो शहर के प्रतिष्ठित स्थलों में शामिल है। इन तीनों स्थलों की अपनी एक अलग पहचान है। रेसीडेंसी एरिया में आईएएस, आईपीएस, समेत कई बड़े अफसरों के सरकारी बंगले है वहीं, 205 साल पुरानी रेसीडेंसी कोठी पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री आते रहे हैं, जबकि रेसीडेंसी क्लब सिविल सेवकों से लेकर जाने माने लोग इसके सदस्य है। सबसे दिलचस्प बात यह है की ये तीनों एक क्षेत्र में होने के बावजूद तीनों के अलग अलग नाम है। रेसीडेंसी कोठी का नाम शिवाजी कोठी के नाम पर प्रस्ताव पारित हुआ है। इसी प्रकार 2023 में निगम ने रेसीडेंसी एरिया (क्षेत्र) का नामकरण करते हुए महाराजा बख्तावर सिंह रखा है। जबकि रेसीडेंसी कोठी का नाम इंदौर रेसीडेंसी क्लब है। पहले यह क्लब इंदौर बोट क्लब के नाम से जाना जाता था।
Indore एरिया में इन नामों के प्रस्ताव एमआईसी में पारित हुए
इंदौर ( Indore ) रेसीडेंसी एरिया और रेसीडेंसी कोठी के नामकरण को लेकर विगत तीन साल से कोशिश चल रही थी, क्योंकि ये दोनों अतिमहत्वपूर्ण क्षेत्र है। साल भर पहले 21 जून 2023 को महापौर पुष्य मित्र भार्गव की अध्यक्षता में हुई मेयर इन कौंसिल की बैठक में रेसीडेंसी एरिया के नाम को लेकर प्रस्ताव रखा गया था। बताया की इस बैठक में नाम को लेकर सदस्यों में लगभग आधे घंटे तक विचार विमर्श होता राह। आखिरकार सभी सदस्यों ने इस बैठक में तय किया कि देश की गुलामी के वक्त शहर में अंग्रेजों के विकसित रेसीडेंसी क्षेत्र का नाम सरकारी रिकॉर्ड में बदला जाएगा और इसे वर्ष 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के शहीद क्रांतिकारी महाराणा बख्तावर सिंह क्षेत्र के रूप में नयी पहचान दी जाएगी। इसी तरह रेसीडेंसी कोठी का नाम बदलने की भी ऐसी ही मिलती जुलती कहानी है। दो दिन पहले सम्पन्न हुई एमआईसी की बैठक में महापौर समेत सभी सदस्यों ने आधे घंटे के विचार विर्मश के बाद प्रस्ताव पारित करते हुए रेसीडेंसी कोठी का नाम शिवाजी कोठी रखने का निर्णय लिया। वैसे शहर के बहुत कम लोग जानते है की रेसीडेंसी एरिया का नाम महाराणा बख्तावर सिंह है। निगम ने विधिवत रुप से इस क्षेत्र का नाम करण किया, लेकिन यह नाम लोगों के दिल में नहीं उतर सका। रेसीडेंसी कोठी का नाम भले ही शिवाजी कोठी हो गया हो, लेकिन वों भी रेसीडेंसी के नाम से ही जानी जाएंगी।
रेसीडेंसी कोठी का नाम- शिवाजी कोठी
जिस तरह से रेसीडेंसी एरिया के नाम का मामला एमआईसी से पारित हुआ ठीक उसी तरह 205 साल पुरानी रेसीडेंसी कोठी के नामकरण का मामला भी दो दिन पहले एमआईसी की बैठक में पारित हु्आ। एमआईसी की बैठक में निर्णय लेते हुए रेसीडेंसी कोठी का नया नाम शिवाजी वाटिका रख दिया। सोशल मिडिया की एक साइट से मिली जानकारी के मुताबिक 1820 के दशक में बनी रेसीडेेंंसी कोठी ईस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटिश शासन के रेसिडेंट की सीट थी। बाद में यह सेंट्रल इंडिया के लिए गवर्नर जनरल के एजेंट की सीट बन गई। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारियों ने कोठी को उड़ाने की योजना भी बनाई थी, क्योंकि यह ब्रिटिश सरकार की गतिविधियों का केंद्र था। फिलहाल यह इमारत इंदौर का सरकारी गेस्ट हाउस है, जिसमें सरकारी अधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठकें होती हैं। बताया गया है की 205 साल पुरानी रेसीडेंसी कोठी पर 1970 से 2003 तक यहां प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री आते रहे हैं।
रेसीडेंसी क्लब का नाम- इंदौर रेसीडेंसी क्लब
रेसीडेंसी एरिया की तीसरी पहचान रेसीडेंसी क्लब है। लगभग 135 साल पुराना यह क्लब शहर का पहला ऐसा क्लब है जो शहर के मध्य हरियाली के बीच लगभग 15 से 20 एकड़ में फैला हुआ है। बताया गया है की वर्तमान में यह क्लब आईआरसी यानी इंदौर रेसीडेंसी क्लब के नाम से जाना जाता है। पहले इसे इंदौर बोट क्लब कहा जाता था। सोशल मिडिया की एक साइट से मिली जानकारी के अनुसार इंदौर रेसीडेंसी क्लब में एक अति आधुनिक सुविधा है, जो समय की जरूरतों को पूरा करने वाली सभी क्लबिंग गतिविधियों का घर भी है। इस सुविधायुक्त तथा हरियाली के बीच बसा रेसीडेंसी क्लब में सदस्य बनना बेहद मुश्किल काम है। वर्तमान में सिविल सेवकों से लेकर जाने माने लोग इस क्लब के सदस्य है।
रेसीडेंसी एरिया का नाम- महाराणा बख्तावर सिंह
21 जून 2023 को महापौर पुष्य मित्र भार्गव की अध्यक्षता में हुई मेयर इन कौंसिल की बैठक में रेसीडेंसी एरिया के नाम का प्रस्ताव पारित होने के बाद उस समय महापौर भार्गव ने बताया था की रेसीडेंसी एरिया का नाम बदलने का फैसला इसलिए लिया गया है। वैसे यह एरिया शहर का सबसे पॉश एरिया माना जाता है और इस क्षेत्र संभागयुक्त, कलेक्टर, कमिश्नर समेत कई आईएएस और आईपीएस अफसरों के बंगले है। इसीलिए यह क्षेत्र आईएएस और आईपीएस नाम से जाना जाता है। रेसीडेंसी एरिया का नामकरण होते ही नगर निगम ने रेसीडेंसी एरिया में क्षेत्र के नए नाम के बोर्ड लगा दिए। ताकि लोगों को पता चल सके की रेसीडेंसी एरिया का नामकरण किया गया है। इस तरह रेसीडेंसी एरिया का नाम 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शहीद हुए महाराणा बख्तावर सिंह के नाम हो गया। शहीद क्रांतिकारी बख्तावर सिंह को अंग्रेजों ने रेसीडेंसी एरिया में 10 फरवरी 1858 को नीम के पेड़ पर फांसी दी थी और मृत्युदंड के नियम-कायदों का उल्लंघन करते हुए उनके शव को तीन दिन तक इसी पेड़ पर लटकाकर रखा गया था। इसके बाद अंग्रेजों ने इंदौर में अपनी रेसीडेंसी कायम करते हुए इसके जरिये समूचे मध्य भारत की रियासतों को नियंत्रित करना शुरू कर दिया था।
कौन है महाराणा बख्तावर सिंह
बख्तावरसिंह महाराणा जी मध्यप्रदेश के धार जिले के अमझेरा कस्बे के शासक थे, जिन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में मध्य प्रदेश में अंग्रेजों से संघर्ष किया। लंबे संघर्ष के बाद छलपूर्वक अंग्रेजों ने उन्हें कैद कर लिया। 10 फरवरी 1858 में इंदौर के महाराजा यशवंत चिकित्सालय परिसर के एक नीम के पेड़ पर उन्हें फांसी पर लटका दिया। उनका परिवार रिंगनोद किले में जाकर रहने लगा जो अमझेरा का दूसरा किला था। मध्यप्रदेश सरकार ने अमझेरा स्थित महाराणा बख्तावरसिंह के किले को राज्य संरक्षित इमारत घोषित किया है। जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर इंदोर अहमदबाद राज्य मार्ग पर हैं।