Indore News : इंदौर में पिछले महीने हुए दर्दनाक ट्रक हादसे को लेकर शुक्रवार को जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस हादसे में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 35 से अधिक लोग घायल हुए थे, जिनमें 12 की हालत गंभीर बताई गई थी। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की विशेष खंडपीठ ने की।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने एक बेहद गंभीर सवाल उठाया — “क्या ट्रक को वीआईपी या उच्च स्तर के कहने पर छोड़ा गया था?” कोर्ट ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों ने ट्रक को रोका था, लेकिन बाद में किसी प्रभावशाली व्यक्ति के निर्देश पर उसे जाने दिया गया। इस सवाल पर उपस्थित शासकीय अधिवक्ता और अन्य पक्षकारों ने कोई जवाब नहीं दिया, जिससे अदालत ने गहरी नाराजगी जताई।
मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि इस मामले में अदालत ने स्वयं संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किए थे। इससे पहले जबलपुर बेंच ने ट्रक की एंट्री से जुड़े सीसीटीवी फुटेज प्रस्तुत करने के आदेश भी दिए थे। अदालत ने कहा कि यदि इस तरह के प्रभाव में आकर नियम तोड़े गए हैं, तो यह गंभीर लापरवाही है और जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई जरूरी है।
कोर्ट ने शहर में भारी वाहनों के प्रवेश को लेकर निर्धारित नो-एंट्री टाइम जोन और रूट के नियमों का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए शासन को ठोस कदम उठाने होंगे।
खंडपीठ ने यह भी कहा कि शासन शपथपत्र देकर बताए कि एमिकस क्यूरी द्वारा सुझाए गए तात्कालिक, मध्यम और दीर्घकालिक उपायों को लागू करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। अदालत ने ये मामला मॉनीटरिंग में रखने का निर्णय लिया है और अगली सुनवाई 10 नवंबर को निर्धारित की है। हाईकोर्ट का यह सख्त रुख न केवल इंदौर हादसे की सच्चाई उजागर करने की दिशा में अहम है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में किसी ‘उच्च स्तर’ के दबाव में नियमों की अनदेखी न हो सके।