मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर और धार्मिक नगरी उज्जैन के बीच प्रस्तावित मेट्रो कॉरिडोर को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई है। दोनों शहरों को जोड़ने वाले इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार हो चुकी है।
हालाकि, श्रद्धालुओं और आम जनता के लिए एक निराशाजनक खबर यह है कि सिंहस्थ 2028 से पहले इस रूट पर मेट्रो का संचालन संभव नहीं हो पाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, डीपीआर में स्पष्ट किया गया है कि समय की कमी और तकनीकी चुनौतियों के चलते सिंहस्थ कुंभ से पहले प्रोजेक्ट पूरा करना मुश्किल है। अब योजना यह बनाई गई है कि सिंहस्थ संपन्न होते ही निर्माण कार्य की रफ्तार बढ़ा दी जाएगी। इस पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 12,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
सीएम की इच्छा और जमीनी हकीकत
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा थी कि इंदौर में ट्रायल रन पर चल रही मेट्रो को सिंहस्थ 2028 से पहले उज्जैन तक विस्तारित कर दिया जाए, ताकि कुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को सहूलियत मिल सके। इसी उद्देश्य से मध्य प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने विस्तृत सर्वे करवाया था।
सर्वे रिपोर्ट और डीपीआर के विश्लेषण के बाद अधिकारियों ने निष्कर्ष निकाला है कि इतनी लंबी लाइन बिछाने और सिस्टम को पूरी तरह चालू करने के लिए मौजूदा समय पर्याप्त नहीं है। इसलिए उच्च स्तर पर सहमति बनी है कि सिंहस्थ से पहले हड़बड़ी करने के बजाय, आयोजन के बाद पूरी ताकत से काम शुरू किया जाए।
भोपाल में होगा प्रेजेंटेशन, फिर दिल्ली जाएगी फाइल
तैयार डीपीआर को इसी महीने के अंत में भोपाल में प्रस्तुत किया जाएगा। मेट्रो कंपनी के अधिकारियों के अनुसार, राज्य सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद इसे अंतिम मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास दिल्ली भेजा जाएगा।
योजना के मुताबिक, केंद्र से मंजूरी मिलते ही टेंडर डिजाइन, टेंडर जारी करने और एजेंसियों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। लक्ष्य यह रखा गया है कि जैसे ही सिंहस्थ 2028 का समापन हो, उसी दिन से इंदौर-उज्जैन मेट्रो कॉरिडोर पर निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर शुरू हो जाए।
45 किमी लंबा रूट, उज्जैन में अंडरग्राउंड होगी मेट्रो
डीपीआर के अनुसार, इंदौर से उज्जैन के बीच मेट्रो कॉरिडोर की कुल लंबाई करीब 45 किलोमीटर होगी। इसमें कुल 11 स्टेशन प्रस्तावित किए गए हैं। दिलचस्प बात यह है कि यह कॉरिडोर ज्यादातर एलिवेटेड (जमीन से ऊपर) होगा, लेकिन उज्जैन शहर की सीमा में प्रवेश करते ही ट्रेन अंडरग्राउंड (भूमिगत) हो जाएगी।
प्रस्ताव के मुताबिक, उज्जैन में करीब 4.5 किलोमीटर का हिस्सा भूमिगत रहेगा। हालांकि, शहर में किस सटीक बिंदु से मेट्रो को अंडरग्राउंड किया जाएगा, इस पर अंतिम निर्णय होना बाकी है।
ये होंगे प्रस्तावित स्टेशन
मेट्रो का सफर इंदौर के लवकुश नगर (प्रारंभिक स्टेशन) से शुरू होकर उज्जैन रेलवे स्टेशन (अंतिम स्टेशन) तक होगा। प्रस्तावित स्टेशनों की सूची इस प्रकार है:
इंदौर से उज्जैन के बीच स्टेशन:
लवकुश नगर, भौंरासला, बारोली, धरमपुरी, तराना, सांवेर, पंथ पिपलई, निनोरा, त्रिवेणी घाट, नानाखेड़ा, उज्जैन आईएसबीटी और उज्जैन रेलवे स्टेशन।
इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से दोनों शहरों के बीच कनेक्टिविटी बेहद सुगम हो जाएगी, लेकिन इसके लिए अभी लंबा इंतजार करना पड़ेगा।