मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में ठंड ने अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। दिसंबर 2025 की एक रात शहरवासियों के लिए हाड़ कंपा देने वाली साबित हुई। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, न्यूनतम तापमान लुढ़ककर 4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। इस भारी गिरावट के साथ ही इंदौर देश के 10 सबसे ठंडे शहरों की सूची में शामिल हो गया है।
बीते कुछ दिनों से शहर में शीत लहर का प्रकोप जारी था, लेकिन दिसंबर के अंत में पारे ने गोता लगाया। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि उत्तर भारत से आ रही बर्फीली हवाओं ने मालवा क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया है। दिन के समय भी धूप निकलने के बावजूद सर्द हवाओं के कारण ठिठुरन बनी रही।
रिकॉर्ड तोड़ सर्दी का अहसास
आमतौर पर इंदौर में दिसंबर के महीने में तापमान 8 से 10 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है, लेकिन इस बार स्थिति अलग रही। 4 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज होने के बाद लोग अलाव का सहारा लेते नजर आए। सुबह और शाम के समय सड़कों पर घना कोहरा छाया रहा, जिससे दृश्यता (विजिबिलिटी) पर भी असर पड़ा।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, यह गिरावट असामान्य है। पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) के प्रभाव और पहाड़ी इलाकों में हुई बर्फबारी का सीधा असर मैदानी इलाकों पर दिख रहा है। इंदौर के अलावा मध्य प्रदेश के अन्य शहरों में भी तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन इंदौर का देश के टॉप 10 ठंडे शहरों में आना चिंता का विषय बन गया है।
जनजीवन पर पड़ा असर
कड़ाके की ठंड का असर शहर की दिनचर्या पर साफ दिखाई दिया। सुबह स्कूल जाने वाले बच्चों और काम पर निकलने वाले लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। प्रशासन ने ठंड को देखते हुए रैन बसेरों में व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, डॉक्टरों ने बच्चों और बुजुर्गों को ठंड से बचने की सलाह दी है।
पुराना संदर्भ
इससे पहले भी इंदौर में कड़ाके की ठंड पड़ती रही है, लेकिन दिसंबर 2025 का यह आंकड़ा पिछले कई वर्षों के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ गया है। मौसम विभाग ने आने वाले कुछ दिनों तक इसी तरह की स्थिति बने रहने की संभावना जताई है। लोगों को गर्म कपड़े पहनने और बेवजह घर से बाहर न निकलने की हिदायत दी गई है।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि रबी की फसलों, विशेषकर गेहूं और चने के लिए यह ठंड फायदेमंद साबित हो सकती है, बशर्ते पाला न पड़े। हालांकि, अगर तापमान में और गिरावट आती है, तो फसलों को नुकसान भी हो सकता है। मौसम विभाग लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है।