Indore News : देश के औद्योगिक विकास और लॉजिस्टिक सुधार को गति देने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। देश के 8 बड़े शहरों में लॉजिस्टिक्स, कनेक्टिविटी और ट्रैफिक सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए सर्वे शुरू किया जाएगा। इस सर्वे का उद्देश्य शहरों के अंदर ट्रैफिक व्यवस्था और परिवहन को सुचारू बनाना तथा शहरों के बीच कनेक्टिविटी और माल परिवहन को अधिक सक्षम बनाना है।

इंदौर को इस सर्वे में शामिल कराने में सांसद शंकर लालवानी की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। सबसे पहले उन्होंने गति शक्ति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात कर इंदौर को इस सर्वे में शामिल करने का आग्रह किया। इसके बाद वाणिज्य मंत्रालय में भी उन्होंने इस विषय पर विस्तार से चर्चा की।
उनके निरंतर प्रयासों के बाद इंदौर को इस सर्वे के लिए चुना गया। इससे पहले इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत देश के सिर्फ साथ ही शहर शामिल थे लेकिन संसद लालवानी के प्रयासों से इंदौर को आठवें शहर के रूप में सम्मिलित किया गया।
सोमवार को दिल्ली में आयोजित गति शक्ति की चौथी वर्षगांठ के कार्यक्रम में सांसद शंकर लालवानी भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और गति शक्ति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान देशभर में हो रहे लॉजिस्टिक्स सुधारों की समीक्षा की गई और आगामी योजनाओं पर चर्चा हुई।
सांसद लालवानी ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से इस संदर्भ में विस्तृत चर्चा की और इंदौर को शामिल करने के लिए धन्यवाद दिया। सांसद लालवानी ने वहां मौजूद एशियन डेवलपमेंट बैंक की टीम से भी मुलाकात की और यह टीम जल्द ही इंदौर आएगी।
सांसद शंकर लालवानी ने कहा – “इंदौर देश का अग्रणी शहर है। यहां ट्रैफिक व्यवस्था जितनी सुव्यवस्थित होगी, नागरिकों को उतनी ही राहत और उद्योगों को उतनी ही गति मिलेगी। साथ ही, इंदौर की अन्य शहरों से कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक जितनी मजबूत होगी, उतना ही व्यापार, निवेश और निर्यात के अवसर बढ़ेंगे। इस सर्वे के माध्यम से शहर की रोज़ाना की वस्तु-आवाजाही, सड़क ढांचा और औद्योगिक लिंक का विश्लेषण कर एक व्यापक लॉजिस्टिक प्लान तैयार किया जाएगा।”
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का लक्ष्य है कि भारत की लॉजिस्टिक लागत घटाकर उद्योगों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जाए। इंदौर जैसे शहर इस मिशन के अग्रणी केंद्र बनेंगे और भारत की विकसित राष्ट्र 2047 की दिशा में योगदान देंगे।