इंदौर यशवंत क्लब: कार्यकाल 2 साल करने का प्रस्ताव खारिज, 1388 मतों के बावजूद जरूरी बहुमत से चूका प्रबंधन

इंदौर। शहर के प्रतिष्ठित यशवंत क्लब में रविवार को संविधान संशोधन के लिए हुआ मतदान मौजूदा प्रबंधन के लिए एक बड़ा झटका लेकर आया। क्लब समिति का कार्यकाल एक साल से बढ़ाकर दो साल करने का महत्वपूर्ण प्रस्ताव जरूरी दो-तिहाई बहुमत हासिल करने में नाकाम रहा और खारिज हो गया। इस नतीजे को आगामी वार्षिक चुनावों से पहले विपक्षी गुट की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है।

क्लब के संविधान में किसी भी संशोधन के लिए कुल डाले गए मतों का दो-तिहाई बहुमत (लगभग 66.67%) आवश्यक होता है। रविवार देर रात घोषित नतीजों के अनुसार, कुल 2395 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा लिया। इसमें से 1388 सदस्यों ने संशोधन के पक्ष में ‘हाँ’ पर मुहर लगाई, जबकि 1007 सदस्यों ने इसके खिलाफ ‘नहीं’ में वोट दिया।

भले ही प्रस्ताव के पक्ष में 381 वोट अधिक पड़े, लेकिन यह जीत के लिए नाकाफी साबित हुआ। प्रस्ताव को पारित होने के लिए लगभग 1597 वोटों की जरूरत थी, लेकिन यह आंकड़ा 1388 पर ही सिमट गया। इस तरह, प्रस्ताव को केवल 57.95% सदस्यों का ही समर्थन मिला और यह स्वतः ही गिर गया।

क्या था संशोधन का प्रस्ताव?

यशवंत क्लब की मौजूदा अध्यक्ष पम्मी छाबड़ा और सचिव संजय मेहता के नेतृत्व वाले प्रबंधन पैनल ने यह संशोधन प्रस्ताव पेश किया था। इसका मुख्य उद्देश्य क्लब की प्रबंधन समिति के कार्यकाल को मौजूदा एक वर्ष से बढ़ाकर दो वर्ष करना था। प्रबंधन का तर्क था कि एक साल का कार्यकाल योजनाओं को लागू करने और नतीजे देने के लिए अपर्याप्त होता है।

हालांकि, टोनी सचदेवा के नेतृत्व वाले विपक्षी गुट ने इस प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया। विपक्ष का आरोप था कि यह संशोधन केवल मौजूदा समिति को सत्ता में बनाए रखने की एक कोशिश है। उन्होंने इसे क्लब की लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ बताया और सदस्यों से इसे खारिज करने की अपील की।

‘सेमीफाइनल’ में विपक्ष को बढ़त

इस चुनाव को क्लब के वार्षिक चुनावों का ‘सेमीफाइनल’ माना जा रहा था। दोनों ही गुटों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। दिन भर क्लब में गहमागहमी का माहौल रहा और सदस्य बड़ी संख्या में वोट डालने पहुंचे। सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान हुआ, जिसके बाद शाम 6 बजे से मतगणना शुरू हुई।

नतीजे स्पष्ट होने के बाद विपक्षी खेमे में जश्न का माहौल था। इस जीत ने वार्षिक चुनाव से पहले उनके कार्यकर्ताओं में नया जोश भर दिया है। वहीं, मौजूदा प्रबंधन के लिए यह परिणाम एक बड़ी निराशा है, क्योंकि यह उनकी नीतियों पर सदस्यों के अविश्वास को दर्शाता है। अब क्लब के वार्षिक चुनाव पहले की तरह ही एक वर्षीय कार्यकाल के लिए ही होंगे, जिससे मुकाबला और भी दिलचस्प होने की उम्मीद है।