विपिन नीमा, इंदौर
लोकसभा के चलते चुनाव में इंदौर संसदीय सीट से अब जो स्थिति बन रही है उसमें मतदान प्रतिशत कम होने तथा नोटा ( NOTA ) का लखपति बनने के आसार साफ दिख रहे है। कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम ने अचानक अपना नामांकन पत्र वापस लेकर इंदौर के चुनाव का क्रेज खत्म कर दिया है। नोटा का लखपति बनने का सीधा सा गणित है कि इस बार कांग्रेस चुनाव से बाहर है। कांग्रेस के नेता अपने वोटरों से नोटा में वोट करने की अपील कर रहे है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को 5,20,815 वोट मिले थे । अगर इसके आधे वोट भी नोटा में चले गए तो नोटा का स्कोर बढ़ जाएगा और मतदान प्रतिशत कम हो जाएंगा। इसी प्रकार इंदौर के चुनाव में तीन बड़े कीर्तिमान बनते नजर आ रहे, जो देश की राजनीति में छाए रहेंगे । इनमे भाजपा की सबसे बड़ी जीत, सबसे ज्यादा वोट संख्या, और सबसे महत्वपूर्ण इंदौर का नोटा लखपति बनना शामिल है। ये सब देखने के लिए अभी थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। इंदौर में 13 में को मतदान है और भाजपा सहित कुल 14 प्रत्याशी मैदान में है।
कांग्रेस ने NOTA में वोट डालने की अपील मतदाताओं से की
चुनाव मैदान से बाहर हो चुकी कांग्रेस को चुनाव में बने रहने के लिए दूसरा रास्ता निकाला है। उसने पहले यह साफ कर दिया है कि वह किसी भी निर्दलीय उम्मीदवार को अपना समर्थन नहीं देगी, लेकिन नोटा ( NOTA ) को समर्थन देने के लिए तैयार हो गई है। कांग्रेस प्रत्याशी बम के भाजपा में शामिल होने पर भडक़े प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी समेत अन्य कांग्रेसी नेताओं ने मतदाताओं से खुलकर अपील करनी शुरू कर दी है कि वे भाजपा को सबक सिखाने के लिए 13 मई को होने वाले मतदान के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर ‘नोटा’(उपरोक्त में से कोई नहीं) का विकल्प चुनें। कांग्रेस नोटा का समर्थन करते हुए मतदाताओं से यह कतई नहीं कह रही है कि वे चुनावों का बहिष्कार करें, लेकिन भाजपा को सबक सिखाने के लिए उनके पास ‘नोटा’ का भी विकल्प भी है। अब देखना है की नोट के लिए कांग्रेस की अपील कितनी सार्थक साबित होती है।व
वोटिंग परसेंटेज का ग्राफ गिर सकता है इस चुनाव में
इंदौर में कोई भी चुनाव हो यहाँ का वोटिंग परसेंटेज संतोष जनक ही रहता है। इस बार परसेंटेज का मामला थोड़ा गड़बड़ है, क्योंकि कांग्रेस मैदान में नहीं है, और कांग्रेसी नेता मतदाताओं से नोटा में वोट करने की अपील कर रही है। इन स्थिति में गिर सकता है वोटिंग परसेटेंज…
- पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी को 5 लाख से ज्यादा वोट मिले थे
- इस बार कांग्रेस प्रत्याशी मैदान में नहीं है तो ये पांच लाख वोट कहां जाएंगे
- कांग्रेस की अपील से यह तय तथा की कांग्रेसी वोटर नोटा में वोट करेंगे।
- कांग्रेस नेता आम मतदाताओं से भी नोटा में वोट डालने की अपील करेंगे।
- कुछ कांग्रेसी वाटर ऐसे भी है जो वोट डालने नहीं जाए
- अगर कांग्रेस के आधे वोट भी नोटा में चले गए तो नोटा लखपति बन जाएंगा
- भाजपा का वोट तो भाजपा में जाना ही है।
- चिलचिलाती धूप और भीषण गर्मी भी मतदान पर असर डालेगी
- इस हिसाब से इंदौर का चुनाव परसेंटेज गिरना स्वाभाविक है।
- ऐसा माना जा रहा है कि इस बार इंदौर का नोट कीर्तिमान रच सकता है।
- 2019 के चुनाव में 5045 वोट नोटा में गिरे थे। जबकि इस बार के चुनाव में यह आकंड़ा काफी बढ़ सकता है।
मई में भीषण गर्मी और लू से मतदान पर पड़ सकता हैं असर
अप्रैल और मई के बीच लोकसभा चुनाव का अलग अलग चरणों का मतदान होने वाला है। ये मतदान ऐसे समय होने वाले है जब साल के सबसे गर्म दिन रहते है। गर्म दिनों की शुरूआत हो चुकी है। ऐसी भीषण गर्मी में मतदान प्रतिशत पर असर पड़ सकता है। इंदौर में 13 मई को मतदान होगा। विशेषज्ञ पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि इस साल की गर्मी दुनिया भर में अब तक की सबसे गर्म होने वाली है. ऐसे में इस दौरान देश में लोकसभा चुनाव होंगे। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि लोकसभा चुनाव के दौरान लू और भीषण गर्मी किसी चुनौती से कम नहीं होंगे। लोअर गर्मी से इंदौर में भी मतदान प्रतिशत प्रभावित हो सकता है।
सबसे बड़ी जीत और सबसे ज्यादा वोट का बन सकता है रिकार्ड
मौजूदा सांसद और भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी किस्मत के धनी है। 2024 के चुनाव में भी उन्हें कीर्तिमान बनाने का फिर से मौका मिला है। 2019 के लोकसभा चुनाव के मोदी लहर में शंकर लालवानी ने कांग्रेस के पंकज सांघवी को 5.47 लाख मतों से पराजित किया था.। शंकर लालवानी को 10,68,569 वोट मिले थे.पंकज सांघवी को 5,20,815 वोट मिले तो वहीं बीएसपी के दीपचंद अहीरवार को 8,666 वोट मिले थे। जबकि नोटा में 5045 वोट गिरे थे। इस तरह इंदौर संसदीय सीट पर कुल 69.56 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई थी.। इस बार कांग्रेस मैदान में नहीं है और कोई दमदार निर्दलीय प्रत्याशी भी नहीं है। ऐसी स्थिति में पूरा चुनाव भाजपा के पक्ष में जा रहा है।