स्वतंत्र समय, भोपाल
ताजिरात-ए-हिंद ( Tajirat-e-Hind ) के स्थान पर भारतीय दंड संहिता विधान का इस्तेमाल किया जाए। जाप्ता फौजदारी के स्थान पर होगा दंड प्रक्रिया संहिता शब्द का उपयोग। अदालत के बदले पुलिस थानों में लिखा जाएगा न्यायालय। उर्दू और फारसी शब्दों के स्थानों पर हिंदी के शब्द उपयोग करने तत्कालीन एसीएस होम डॉ. राजेश राजौरा ने 11 जनवरी 2022 को डीजीपी को पत्र लिखा था, लेकिन पीएचक्यू 17 महीने बाद जागा और इस संबंध में निर्देश जारी किए।
एसीएस ने ये पत्र 11 जनवरी 2022 को लिखा
एसीएस होम राजौरा ने तत्कालीन डीजीपी विवेक जौहरी को लिखे पत्र में कहा था कि पुलिस विभाग में प्रचलित अन्य भाषाओं जैसे उर्दू, फारसी आदि के शब्दों के प्रयोग के स्थान पर हिंदी शब्दों का प्रयोग किया जाए, जिससे प्रचलन में भी हिंदी शब्दों का उपयोग हो सकेगा। एसीएस ने ये पत्र 11 जनवरी 2022 को लिखा और पीएचक्यू में अपराध अनुसंधान विभाग ने इस पर कार्रवाई करने के लिए 13 मई 2024 को पुलिस आयुक्त, सभी पुलिस अधीक्षक, अजाक्स और रेलवे को पत्र लिखा। यानि 17 महीने से पीएचक्यू ने इस पत्र को तवज्जो ही नहीं दी।
पुलिस थानों में अब इन शब्दों का होगा प्रयोग
अदम चैक के बदले असंज्ञेय, पुलिस हस्तक्षेप, अपराध की सूचना, कैदखाना के स्थान पर बंदीगृह, जुर्म (जरायम) दफा-अपराध-धारा, हाजिर-गैरहाजिर के स्थान पर उपस्थित-अनुपस्थित, तफतीश-तहकीकात की जगह आगमन, प्रस्थान, आमद-रवानगी की जगह आगमन-प्रस्थान, ईजाफ-वृद्धि-बढ़ाना, कायमी-पंजीयन, कैफियत-तफसील की जगह विवरण-विस्तृत, तेहरीर-लिखित, इस्तगासा-दावा-परिवाद, इत्तिला-इत्तिलान-सूचना-सूचनार्थ, तामील-अदम तामील-सूचित-सूचित न होना, कब्जा-अधिपत्य, खारिज-खारिजी-निरस्त-निरस्तीकरण, खून-आलूदा-रक्त रंजित-रक्त से सना हुआ, खैरियत-कुशलता, गवाह-गवाहन-साक्षी-साक्षीगण, गिरफ्तार-हिरासत-अभिरक्षा, चश्मदीद गवाह-प्रत्यक्षदर्शी साक्षी, बयान-कथन, जमानत-मुचलका-प्रतिभूति-बंधपत्र, जप्त-अधिग्रहण आदि शब्दों का उपयोग एफआईआर, चालान आदि में किया जाएगा।