एमवाय अस्पताल के इंटर्न डॉक्टरों ने लगाया फैकल्टी पर आरोप,- मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में रैफर करने का बनाते है दबाव

प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल का तमगा लगाए एमवाय अस्पताल में अब एक चौंका देने वाला मामला सामने आया है जब अस्पताल के ही इंटर्न डॉक्टरों ने यहां के प्रोफेसर डॉक्टरों पर यह आरोप लगाया है कि वह अस्पताल में भर्ती मरीजों को प्रायवेट अस्पताल में रैफर करने का दबाव बना रहे है। इससे एक बार फिर एमवाय अस्पताल में चल रही अव्यवस्थाओं की पोल खुल जाती है कि जहां प्रदेश  सरकार मेडिकल कॉलेजो पर करोड़ो रूपए खर्च करके डॉक्टरों को तैयार करने की बात कहती है यहीं इन मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसर सिर्फ इसे अपनी कमाई और कमीशन का जरिया बना चुके है। जिसकी आए दिन खबरें आती रहती है लेकिन प्रदेश सरकार इन सीनियर्स डॉक्टरों पर इसलिए कार्रवाई नहीं करती है क्योकि प्रदेश में डॉक्टरों की कमी है लेकिन इसके विपरित यहां के डॉक्टर्सों ने आर्थिक रूप से कमजोर मरीज को सिर्फ परेशान करने का जरिया बना लिया है।

स्टाइपंड का नहीं किया भुगतान
इंटर्न डॉक्टरों ने डीन से शिकायत की है और स्टाइपंड का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है। यहां  क्लीनिकल कार्य करने के साथ ही समय पर भोजन करने की मांग की है दरअसल, तीन माह से उन्हें स्टाइपंड नहीं मिला है। कई इंटर्न स्टाइपंड पर ही अपनी बुनियादी आवश्यकताओं और शैक्षणिक खर्चों के लिए निर्भर हैं। कई बार मौखिक रूप से शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। सर्जरी, मेडिसिन और आर्थोपैडिक्स विभागों में इंटर्न को काम करने में भी काफी समस्या आती है।

लगातार ड्यूटी से परेशान है इंटर्न
इंटर्न डॉक्टरों का कहना है कि 12 से 14 घंटे की रात्रिकालीन ड्यूटी करवाई जा रही है, जो राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा निर्धारित अधिकतम कार्यकाल से अधिक है। लगातार ड्यूटी करने से मानसिक एवं शारीरिक थकान बढ़ रही है और पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। बता दें कि यह सभी वर्ष 2020 बैच के विद्यार्थी हैं। करीब 250 विद्यार्थी हैं, जो इंटर्नशिप कर रहे हैं।

डीन से की शिकायत
इंटर्न डॉक्टरों ने डीन से मांग की है कि स्टाइपंड का भुगतान किया जाए, हमसे केवल क्लीनिकल कार्य ही करवाएं जाए। बता दें कि एक माह पहले ही यहां बाहरी लोग मरीजों का इलाज करते हुए पकड़े गए थे। इस मामले में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया का कहना है कि इंटर्न डॉक्टर को समय पर स्टाइपंड नहीं मिलने की शिकायत मिली है। इस संबंध में हमने अकाउंट सेक्शन में बात की तो पता चला कि एचओडी की तरफ से समय पर इन डॉक्टरों की उपस्थिति नहीं भेजी जाती है। साथ ही डॉक्टरों ने अधिक समय तक काम और अन्य आरोप भी लगाए हैं। इस संबंध में विभागों के प्रमुखों से पूछताछ की जाएगी।