5,532 करोड़ के निवेश को मंजूरी, इस सेक्टर में आएगी नई रफ्तार

भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण क्षेत्र को नई दिशा देने के लिए केंद्र सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जा विनिर्माण योजना के तहत सरकार ने सात प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। इन परियोजनाओं में कुल 5,532 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है।

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इन योजनाओं से देश के इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स आयात बिल में करीब 20,000 करोड़ रुपये तक की कमी आएगी।

मदरबोर्ड से लेकर कैमरा मॉड्यूल तक बनेगा भारत में

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि स्वीकृत परियोजनाओं में प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (PCB) यानी मदरबोर्ड बेस, कैमरा मॉड्यूल, कॉपर लैमिनेट और पॉलीप्रोपिलीन फिल्म जैसे अहम कलपुर्जे बनाने की योजनाएं शामिल हैं। ये सभी उपकरण उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों जैसे मोबाइल, लैपटॉप, टेलीविजन और अन्य स्मार्ट डिवाइसेस में अनिवार्य रूप से उपयोग किए जाते हैं। इन परियोजनाओं के शुरू होने से भारत अब इन महंगे पार्ट्स के लिए विदेशी बाजार पर निर्भर नहीं रहेगा।

केन्स ग्रुप का सबसे बड़ा निवेश, एंबर और सिरमा भी शामिल

मंजूर की गई सात परियोजनाओं में से चार परियोजनाएं केन्स ग्रुप की हैं, जिनमें कुल 3,280 करोड़ रुपये का निवेश होगा। इन परियोजनाओं के तहत मल्टी-लेयर पीसीबी, कैमरा मॉड्यूल असेंबली और हाई-डेंसिटी इंटरकनेक्ट पीसीबी का निर्माण किया जाएगा।

वहीं, एंबर ग्रुप की इकाई एसेंट सर्किट्स लिमिटेड की 991 करोड़ रुपये की परियोजना से 7,800 करोड़ रुपये मूल्य के मल्टी-लेयर पीसीबी तैयार किए जाएंगे। इसके अलावा, सिरमा स्ट्रैटेजिक इलेक्ट्रॉनिक्स की 765 करोड़ रुपये की परियोजना से 6,900 करोड़ रुपये के पीसीबी का उत्पादन होगा।

एसआरएफ लिमिटेड की 496 करोड़ रुपये की परियोजना में 1,311 करोड़ रुपये की पॉलीप्रोपिलीन फिल्म बनाई जाएगी, जो इलेक्ट्रॉनिक्स और पैकेजिंग उद्योग के लिए बेहद महत्वपूर्ण सामग्री है।

भारत में पहली बार बनेगा स्वदेशी कैमरा मॉड्यूल

इस योजना की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि अब देश में पहली बार कैमरा मॉड्यूल का उत्पादन पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से किया जाएगा। अब तक भारत में कैमरा मॉड्यूल निर्माण के लिए विदेशी तकनीकी सहयोग लिया जाता था, लेकिन इन परियोजनाओं के बाद भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा। इन मॉड्यूल्स का उपयोग मोबाइल फोन, लैपटॉप, टैबलेट और सीसीटीवी कैमरा जैसे उपकरणों में किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री वैष्णव के अनुसार, इन परियोजनाओं के माध्यम से देश की पीसीबी की कुल मांग का लगभग 27% और कैमरा मॉड्यूल की मांग का 15% हिस्सा घरेलू स्तर पर ही पूरा हो सकेगा। वहीं, कॉपर लैमिनेट और पॉलीप्रोपिलीन फिल्म जैसी सामग्रियों का उत्पादन भारत में पहली बार होगा और ये 100 प्रतिशत घरेलू मांग को पूरा करने में सक्षम रहेंगी।

5,000 से अधिक लोगों को मिलेगा रोजगार

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी सचिव एस. कृष्णन ने बताया कि इन नई परियोजनाओं से लगभग 5,195 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसके साथ ही, अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को भी लाभ होगा, क्योंकि इससे सप्लाई चेन, लॉजिस्टिक्स और अन्य सहायक उद्योगों को गति मिलेगी।

अब तक इस योजना के तहत कुल 1.15 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव सरकार को प्राप्त हो चुके हैं। यह योजना भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण केंद्र बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हो सकती है।

‘मेक इन इंडिया’ को मिलेगा नया बल

इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जा विनिर्माण योजना प्रधानमंत्री ‘मेक इन इंडिया’ पहल को सशक्त बनाने का हिस्सा है। इसका उद्देश्य देश में इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करना और आयात पर निर्भरता घटाना है। इसके माध्यम से भारत न केवल आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि वैश्विक आपूर्ति शृंखला (Global Supply Chain) में भी अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकेगा।