मैं जब झाबुआ और इंदौर में कलेक्टर था तब वे मेरे कमिश्नर थे। इतनी मृदुलता से बोलने वाले और इतनी परिपक्व तरह से मार्गनिर्देश करने वाले अधिकारी बहुत ही कम होते हैं।
उनके बच्चे आसिफ, जफर और उनकी बच्ची शाजिया हमारे परिवार के सदस्यों जैसे हैं। मैडम स्वयं इतने मधुर और दयालु स्वभाव की हैं। मेरी पत्नी के साथ उनकी खूब बनती है।
मुझे याद है कि जब मैं इंदौर कलेक्टर था और कुछ बड़े बड़े लोगों के अवैध भवनों को तोड़ रहा था और कुछ को तोड़ने वाला था, तो रेसीडेंसी पर तत्कालीन मुख्यमंत्री जी के सामने उन लोगों ने यह भी आरोप लगाया था कि मैं मुस्लिमों के अतिक्रमण तोड़ रहा हूँ।
तब मैं कुछ बोलता, इसके पहले ही सर बोले थे कि ये मुस्लिम अतिक्रमण क्या होता है। अतिक्रमण अतिक्रमण होता है। किसी का हो।
अपने पूरे प्रशासन में इतनी निष्ठा, निष्पक्षता और निस्पृहता से कार्य करने वाले अधिकारी विरल हैं।
पिछले कुछ समय से वे बार-बार बीमार पड़ रहे थे। ठीक हो जाते थे पर फिर भर्ती कराया जा रहा था।
भगवान उनकी आत्मा को शान्ति दे और उनके परिवार को यह दुःख सहने की शक्ति दे। आज पाँच बजे जहाँगीराबाद कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जायेगा।
एक बहुत ही पवित्र आत्मा का आज यह प्रस्थान हुआ है।
अंतिम बार चरण स्पर्श, सर।