इजराइल- ईरान के युद्ध ने पुरे विश्व में तहलका मचा दिया जब अमेरिका ने इजराईल का साथ देते हुए ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया। इसके बाद अमेरिका ने फिर एक बड़ा कदम उठाते हुए इजराइल और ईरान के बीच समझौता कराने का प्रयास करते हुए सीजफायर कराया। लेकिन इस युद्ध में जिस तरह की कूटनीति सामने आई है उसने पूरे विश्व को कुछ सोचने पर मजबुर कर दिया है। यह युद्ध परमाणु हथियार बनाने को रोकने का प्रयास था। यह युद्ध एक विनाश को रोकने का प्रयास था। लेकिन इस युद्ध ने मिडिल ईस्ट में फैल रहे तनाव को सामने ला दिया जहां परमाणु बम बनाने की ऐसी होड़ मची है कि ईरान परमाणु बम बनाने की जिद पर अड़ गया है। यही इजराइल इस परमाणु बम को स्वयं के लिए खतरा मान रहा है। जबकि इजराइल यह भी जानता है कि ईरान का परमाणु बम भविष्य में सऊदी अरब के लिए भी निशाना साधने का जरिया हो सकता है।
इजरायल-ईरान संघर्ष के बीच अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकाने, इस्फान, फोर्डो और नतांज पर हमला किया था। अमेरिका ने दावा किया था कि हमले की वजह से ईरान का परमाणु बम बनाने का सपना चकनाचूर हो चुका है। हालांकि, ईरान ने दावा किया कि हमले की वजह के परमाणु बम बनने वाले सारे मैटेरियल बर्बाद नहीं हुए हैं। वहीं, अमेरिका के उप राष्ट्रपति ने कहा कि ईरान के पास अभी भी इतना सामान बचा हुआ है कि वो 9 परमाणु बम बना सके।
सहयोग को निलंबित करने का विधेयक किया पारित
ईरान की संसद ने संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था (IAEA) के साथ सहयोग निलंबित करने का एक विधेयक पारित किया है। यह कदम इजरायल के साथ 12 दिनों के संघर्ष के बाद उठाया गया है। विधेयक के अनुसार, परमाणु सुविधाओं की सुरक्षा सुनिश्चित होने तक निगरानी कैमरे लगाना, निरीक्षण और IAEA को रिपोर्ट पेश करना निलंबित रहेगा। ईरान की संसद ने बुधवार को एक बिल पारित किया। ईरान ने संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था यानी अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ संबंध तोड़ने और सहयोग निलंबित करने का फैसला किया है। जिसकी जानकारी समाचार एजेंसी से आई है।
सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद देंगा मंजूरी?
एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के इस कदम को लागू करने के लिए ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की भी अंतिम मंजूरी जरूरी है। यह कदम तब उठाया गया है, जब ईरान इजरायल के साथ 12 दिनों की जंग लड़ चुका है। तेहरान के एक समाचार ने समिति के प्रवक्ता इब्राहिम रेजाई का हवाला देते हुए बताया कि विधेयक के अनुसार, निगरानी कैमरे लगाना, निरीक्षण की अनुमति देना और IAEA को रिपोर्ट पेश करना तब तक निलंबित रहेगा, जब तक परमाणु सुविधाओं की सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जाती। हालांकि, इस संबंध में संसद को अभी भी एक पूर्ण सत्र में विधेयक को मंजूरी देनी है।
ईरान-अमेरिका के बीच जारी है तनातनी
इजरायल-ईरान संघर्ष के बीच अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकाने, इस्फान, फोर्डो और नतांज पर हमला किया था। अमेरिका ने दावा किया था कि हमले की वजह से ईरान का परमाणु बम बनाने का सपना चकनाचूर हो चुका है। हालांकि, ईरान ने दावा किया कि हमले की वजह के परमाणु बम बनने वाले सारे मैटेरियल बर्बाद नहीं हुए हैं। वहीं, अमेरिका के उप राष्ट्रपति ने कहा कि ईरान के पास अभी भी इतना सामान बचा हुआ है कि वो 9 परमाणु बम बना सके। इससे यह बात तो सामने आ गई है कि अमेरिका ने दोनो देशों के बीच समझौता कराने का प्रयास तो किया है लेकिन ईरान परमाणु बम बनाने पर अड़ा है। जो इजराइल और अमेरिका को नामंजूर है।