ईरान और इजरायल के बीच चल रहा तनाव अब और खतरनाक रूप ले चुका है। ईरान ने आधिकारिक रूप से पुष्टि की है कि उसने इजरायल पर हमला करने के लिए पहली बार अपनी लंबी दूरी की सेज्जिल मिसाइल का इस्तेमाल किया है। यह हमला “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3” के तहत किया गया, जो ईरान की जवाबी कार्रवाइयों की एक श्रृंखला का हिस्सा है।
ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने दावा किया है कि उन्होंने इस हमले में इजरायल के मोसाद कार्यालयों, वायुसेना अड्डों, और खुफिया केंद्रों को निशाना बनाया। हालांकि अभी तक स्वतंत्र सैन्य विशेषज्ञों ने हमले से हुए नुकसान की पुष्टि नहीं की है।
क्या है सेज्जिल मिसाइल?
सेज्जिल मिसाइल ईरान की ओर से बनाई गई एक लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है। यह दो-चरणों में काम करती है और इसमें ठोस ईंधन का इस्तेमाल होता है, जिससे इसे जल्दी से लॉन्च किया जा सकता है। ठोस ईंधन का एक फायदा यह है कि मिसाइल को पहले से तैयार रखा जा सकता है और जरूरत पड़ते ही तुरंत दागा जा सकता है।
इस मिसाइल की अनुमानित मारक क्षमता 2,000 किलोमीटर तक है। यानी यह पूरे इजरायल को तो कवर कर ही सकती है, साथ ही दक्षिण-पूर्वी यूरोप के कई हिस्सों तक भी पहुंच सकती है। इससे ईरान की सैन्य ताकत और रणनीतिक दायरा काफी बढ़ जाता है।
मिसाइल की लंबाई करीब 18 मीटर (59 फीट) होती है और यह लगभग 700 किलोग्राम तक का विस्फोटक ले जाने में सक्षम है। कुछ रिपोर्ट्स का दावा है कि इसके कुछ वेरिएंट 4,000 किलोमीटर तक भी मार कर सकते हैं, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
क्यों है यह हमला अहम?
ईरान द्वारा पहली बार सेज्जिल मिसाइल का युद्ध में उपयोग करना एक बड़ा सैन्य कदम माना जा रहा है। इससे साफ होता है कि अब दोनों देशों के बीच टकराव सिर्फ सीमित दायरे में नहीं रहा, बल्कि अब यह दीर्घ दूरी तक असर डालने वाले हथियारों तक पहुंच गया है। इससे क्षेत्र में तनाव और भी बढ़ सकता है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस स्थिति पर नजर बनाए हुए है, क्योंकि इस तरह की मिसाइलें यदि बड़े पैमाने पर उपयोग में आती हैं, तो यह सिर्फ इजरायल-ईरान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे मध्य पूर्व और यूरोप को भी खतरे में डाल सकता है।