ISKCON in Bangladesh: बांग्लादेश में हिंदुओं को मिल रही खुलेआम धमकियां, अब रफीकुल इस्लाम मदनी ने की इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग

ISKCON in Bangladesh: बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा और नफरत भरे भाषणों की घटनाओं में कोई कमी नहीं आई है। हाल ही में एक कट्टरपंथी वीडियो सामने आया है, जिसमें एक व्यक्ति इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहा है और यह धमकी दे रहा है कि अगर सरकार इसका पालन नहीं करती है, तो वह खुद हिंसात्मक कदम उठाएगा। इस वीडियो के सामने आने के बाद, राधारमण दास, जो इस्कॉन के वाइस प्रेसिडेंट हैं, ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस गंभीर मुद्दे पर सवाल उठाया है।

वीडियो में हिंसा की खुलेआम धमकी

वीडियो में दिख रहे व्यक्ति ने खुलेआम धार्मिक हिंसा का आह्वान करते हुए कहा, “अब समय धार्मिक प्रथाओं का नहीं, बल्कि इस्कॉन से लड़ने का है। हम उन्हें तलवारों से काट देंगे, और एक-एक को मार डालेंगे।” इस तरह के बयान न केवल धार्मिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि ये अल्पसंख्यक समुदायों के लिए भय और असुरक्षा का वातावरण भी उत्पन्न करते हैं।


राधारमण दास ने इस वीडियो को साझा करते हुए यह भी सवाल उठाया कि अगर कोई व्यक्ति खुलेआम ऐसी हिंसा की धमकियां दे रहा है, तो उसे अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? उन्होंने यह भी पूछा कि क्या दुनिया इस बर्बरता के खिलाफ चुप्पी साधे रहेगी?

बांग्लादेश में धार्मिक असहिष्णुता का बढ़ता खतरा

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और विशेषकर इस्कॉन के अनुयायियों पर हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया, मूर्तियों को नष्ट किया गया और हिंसा के कई मामलों में निर्दोष लोग शिकार हुए। यह घटनाएं केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बांग्लादेश की छवि को प्रभावित कर रही हैं।

अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल

अल्पसंख्यक समुदायों ने कई बार बांग्लादेश सरकार से अपनी सुरक्षा के लिए अनुरोध किया है, लेकिन स्थिति में किसी प्रकार का सुधार दिखाई नहीं दे रहा है। कई मानवाधिकार संगठनों और देशों ने बांग्लादेश सरकार से इस बढ़ती हुई धार्मिक असहिष्णुता पर प्रभावी कदम उठाने की अपील की है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और चिंता

भारत और अन्य देशों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी बांग्लादेश की सरकार से यह मांग की है कि वह इन घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई करे और कट्टरपंथियों को सख्त सजा दिलाए। इन घटनाओं ने बांग्लादेश में धार्मिक सहिष्णुता की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में गहरी चिंता का कारण बनी हुई हैं।