Israel पर हमास, हिज़्बुल्लाह और ईरान का हमला-एक्सप्लेनर!


रवि लोहिया
न्यूज विश्लेषक

हाल ही के दिनों में इजऱाइल ( Israel ) को फिलिस्तीनियों, हिज्बुल्ला और ईरान के साथ लगातार बढ़ते तनाव का सामना करना पड़ रहा है। इन सभी मोर्चों पर संघर्ष ने क्षेत्र की स्थिरता को प्रभावित किया है। इजऱाइल-फिलिस्तीनी विवाद ने फिर से उथल-पुथल मचा दी है, जिसमें संघर्ष अब नए स्तर पर पहुँच रहा है।

Israel सीमा पर लगातार सैन्य गतिविधियां बढ़ा रहा है

हमास प्रमुख के खात्मे के बाद फिलिस्तीनी समर्थक हिज़्बुल्लाह संगठन, जो लेबनान में सक्रिय है, इजराइल ( Israel ) सीमा पर लगातार अपनी सैन्य गतिविधियाँ बढ़ा रहा है, जिससे इजऱाइल अपनी सुरक्षा के लिए लगातार राकेट, मिसाइल हमलें लेबनान पर किये जा रहा है। इस जवाबी हमले में हिज़्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह को मार गिराये जाने के बाद ईरान ने पलटवार मे सैकड़ों राकेट एवं मिसाइलें इजराइल पर दागी। इजराइल ने अपनी आयरन डोम जैसी मिसाइल रक्षा प्रणाली की सहायता से ईरान के मिसाइल हमलें हवा मे ही नष्ट कर दिए। ईरान का हिज्बुल्ला और फिलिस्तीनियों को समर्थन देने का प्रयास इस संघर्ष को और भी जटिल बना रहा है, जिससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ सकता है। मानवाधिकार एवं नागरिकों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सक्रिय भूमिका महत्वपूर्ण है, ताकि स्थिरता और शांति की दिशा में कदम बढ़ाए जा सकें।

फिलिस्तीनी संघर्ष और हमास

फि़लिस्तीन जो कि लेबनान और मिस्र के बीच था। 1948 में ब्रिटिश और फ्रांसिसियों ने इस क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया और पूरे फिलिस्तीन क्षेत्र को तीन हिस्सों में बांट दिया। बटवारे के अधिकांश हिस्से पर इजराइल के राज्य की स्थापना की गई है। कुल जमीन का 44 फीसदी इजराइल को दिया गया, 48 फीसदी फिलिस्तीनियों के हिस्से गया और बाकी 8 फीसदी हिस्से को यूएन ने अपने कब्जे में रखा। वेस्ट बैंक और गाजा को फिलिस्तीन के क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। कई बार इजराइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष हो चुके हैं और हर बार लड़ाई के बाद इजराइल फिलिस्तीन के भूभाग पर कब्जा कर लेता है। हालात यह है कि फिलिस्तीन 48 फीसदी से घटकर 12 फीसदी तक रह गया है। गाजा पट्टी के लिए इजराइल और फिलिस्तीन खासकर हमास के बीच अक्सर युद्ध छिड़ जाता है। हमास एक फिलिस्तीनी उग्रवादी संगठन है जो गाजा पट्टी के कुछ क्षेत्रों को अपने नियंत्रण में रखता है। हमास गाजा को पूरी तरह इस्लामिक स्टेट बनाना चाहता है। हमास वो संगठन है जो अपने पास फौज रखता है, और इसका सत्ता पर भी कब्जा है। साल 2007 से गाजा पर हमास का ही शासन चल रहा है। इस दौरान हमास ने इजराइल के साथ कई संघर्ष किये। कट्टरपंथ के चलते इजराइल, अमेरिका, यूरोपीय संघ समेत कई और देशों ने हमास को एक आतंकवादी समूह घोषित कर रखा है। 7 अक्टूबर 2023 एक वर्ष पहले हमास ने इजराइल पर अभूतपूर्व हमला किया, सैकड़ों बंदूकधारियों ने इजऱाएल सीमा में घुसपैठ की। जवाबी कार्यवाही मे इजराइल की सैन्य ताकतों ने हमास के मुख्य ठिकानों को तहस नहस कर हमास प्रमुख इस्माइल हनीह को मार गिराया।

हिज़्बुल्लाह की चुनौती

हिज़्बुल्लाह, जो कि लेबनान स्थित एक शिया इस्लामिक संगठन है । हिज़्बुल्लाह इजऱाइल के साथ अपनी सीमा पर सैन्य गतिविधियाँ बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। उनका लक्ष्य इजऱाइल की सैन्य ताकत को सीमित करना और किसी भी संभावित हमले के खिलाफ अपनी सुरक्षा को मजबूत करना है। हिज्बुल्ला को ईरान से समर्थन प्राप्त है, जो इस संगठन को आर्थिक, सैन्य और राजनीतिक मदद देता है। ईरान के साथ निकटता हिज्बुल्ला की रणनीतिक गतिविधियों को बढ़ावा देती है और उसे इजऱाइल के खिलाफ अपने अभियान में और ताकत देती है। लेबनान में राजनीतिक स्थिति भी हिज़्बुल्लाह की गतिविधियों को प्रभावित कर रही है। इजऱाइल-फिलिस्तीनी संघर्ष भी प्रभावित कर रहा है। हिज़्बुल्लाह खुद को फिलिस्तीनी लोगों का समर्थक मानता है और इस संघर्ष में सक्रिय भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है। हिज़्बुल्लाह की गतिविधियाँ इजऱाइल के लिए एक चुनौती हैं, और इसका जवाब देने के लिए इजऱाइल ने हाल ही के दिनों मे लेबनान पर ड्रोन और मिसाइल से आक्रमण किये और हिज़्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह को ख़त्म कर दिया।

ईरान का फिलिस्तीन और हिज़्बुल्ला को समर्थन

जैसा कि अमेरिका ने इजऱाइल को संभावित ईरान हमलें के बारे मे चेताया था। हिज़्बुल्ला प्रमुख के खात्मे के बाद ईरान ने इजराइल पर मिसाइल हमले किये। इजराइल और ईरान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। दोनों देशों के बीच वैचारिक और भू-राजनीतिक मतभेद इस क्षेत्र में अस्थिरता का कारण बने हैं। हाल के दिनों में कई घटनाएँ हुई हैं। इजऱाइल ने हाल ही में सीरिया में ईरानी ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं। ईरान का परमाणु कार्यक्रम भी इस तनाव का एक प्रमुख कारण है। इजऱाइल ने कई बार चेतावनी दी है कि अगर ईरान ने अपने परमाणु विकास कार्यक्रम को जारी रखा, तो वह इसे रोकने के लिए सैन्य कार्रवाई कर सकता है। इस तनाव के बीच, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों को और कड़ा करने की योजना बनाई है। इसके साथ ही, कुछ देशों ने मध्य पूर्व में इजऱाइल के साथ सहयोग बढ़ाने की कोशिश की है। इजऱाइल और ईरान के बीच का तनाव केवल दोनों देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे मध्य पूर्व में स्थिरता को प्रभावित कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस स्थिति को सुधारने के लिए सक्रिय रूप से काम करने की आवश्यकता है, ताकि क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।

इजराइली सेना और आतंकवाद

इजऱाइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्धित है। इजऱाइल की सेना अत्याधुनिक तकनीक और संसाधनों से लैस है। इसके पास विशेष बल, हवाई शक्ति, और खुफिया नेटवर्क हैं, जो आतंकवादी गतिविधियों का मुकाबला करने में मदद करते हैं। ‘आयरन डोम’ जैसी मिसाइल रक्षा प्रणालियाँ इजऱाइल को रॉकेट और अन्य हवाई हमलों से बचाने में सक्षम हैं। इजऱाइल की खुफिया एजेंसियाँ (जैसे मोसाद, शिन बेत) आतंकवादियों की गतिविधियों की निगरानी करती हैं। इनकी सहायता से कई आतंकवादी हमलों को समय रहते नाकाम किया गया है। आतंकवाद को खत्म करने के लिए राजनीतिक समाधान महत्वपूर्ण है। फिलिस्तीनी समस्या जैसे मुद्दे यदि हल नहीं होते, तो क्षेत्र में अस्थिरता बनी रहेगी, जो आतंकवाद को बढ़ावा दे सकती है। बिना कूटनीतिक प्रयासों के, आतंकवाद का खात्मा मुश्किल है। आतंकवाद अक्सर आर्थिक और सामाजिक असमानताओं से उत्पन्न होता है। इजऱाइल यदि आर्थिक विकास और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने में सफल होता है, तो यह आतंकवाद को कमजोर कर सकता है। इजऱाइल आतंकवाद को समाप्त करने के लिए प्रयासरत है, लेकिन इसे पूरी तरह खत्म करना एक जटिल कार्य है। यह केवल सैन्य कार्रवाई के माध्यम से नहीं किया जा सकता, बल्कि इसके लिए राजनीतिक, आर्थिक, और सामाजिक उपायों की आवश्यकता है। यदि ये उपाय सही दिशा में किए जाते हैं, तो आतंकवाद की समस्या को कम किया जा सकता है, लेकिन इसे पूरी तरह समाप्त करना एक चुनौती होगी।