ISRO ने रचा इतिहास, गगनयान के लिए पहली बार किया पैराशूट सिस्टम का सफल ट्रायल

भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन की दिशा में इसरो (ISRO) ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। संगठन ने पैराशूट डिसेलेरेशन सिस्टम के प्रदर्शन के लिए पहला एकीकृत एयर ड्रॉप टेस्ट (IADT-01) सफलतापूर्वक संपन्न किया। यह परीक्षण भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक अहम मील का पत्थर साबित हुआ है।

हेलीकॉप्टर से उतारा गया क्रू कैप्सूल

इस परीक्षण के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए क्रू कैप्सूल को चिनूक हेलीकॉप्टर से नीचे उतारा गया। यह मिशन इसरो के साथ-साथ डीआरडीओ, भारतीय वायु सेना, नौसेना और तटरक्षक बल का संयुक्त प्रयास रहा।

क्रू मॉड्यूल की तैयारी और डिलीवरी

गगनयान मिशन के क्रू मॉड्यूल को अक्टूबर 2023 में KCP – हैवी इंजीनियरिंग यूनिट द्वारा इसरो को सौंपा गया था। इसके बाद इसरो ने IADT के लिए दो विशेष मॉड्यूल संरचनाओं का ऑर्डर दिया।

इस क्रू मॉड्यूल को पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें 10 पैराशूट की एक श्रृंखला शामिल है। इन पैराशूट्स की मदद से अंतरिक्ष यान का वेग कम होता है, जिससे समुद्र में सुरक्षित और हल्की स्पलैशडाउन संभव हो पाती है।

जटिल प्रक्रिया के बाद हुआ सफल परीक्षण

IADT तैयार करने में काफी समय और मेहनत लगी। क्रू मॉड्यूल की डिलीवरी के बाद इसे पैराशूट सिस्टम, उत्प्लावन वृद्धि प्रणाली और अन्य उपकरणों से लैस किया गया।

श्रीहरिकोटा स्थित इसरो अंतरिक्ष केंद्र के हेलीपैड पर हेलीकॉप्टर के साथ विद्युत परीक्षण किए गए। इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम को एकीकृत करने के लिए क्रू मॉड्यूल का सिम्युलेटेड हार्डवेयर तिरुवनंतपुरम के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) से लाकर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में फिट किया गया। यह मॉड्यूल मूल रूप से चेन्नई में निर्मित किया गया था। संपूर्ण परीक्षण के दौरान पैराशूट सिस्टम बिल्कुल सामान्य तरीके से कार्य करते रहे और मिशन सफल घोषित हुआ।

गगनयान कार्यक्रम का महत्व

यह परीक्षण भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान कार्यक्रम का एक अहम हिस्सा है। गगनयान मिशन का मुख्य उद्देश्य मनुष्यों को सुरक्षित रूप से पृथ्वी की कक्षा तक ले जाना और वापस लाना है।
इस कार्यक्रम को पूरा करने के लिए कुल आठ उड़ानों की योजना बनाई गई है, जिनमें तीन चालक दल मिशन और पांच बिना चालक दल मिशन शामिल होंगे।

भारत का अंतरिक्ष स्टेशन और भविष्य की योजनाएँ

गगनयान मिशन की सफलता भारत को अपना खुद का भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Indian Space Station) संचालित करने की क्षमता प्रदान करेगी। इसरो की योजना 2028 तक इसका पहला मॉड्यूल लॉन्च करने की है और 2035 तक इसे पूरी तरह से संचालित करना है।

इसके अलावा इसरो भविष्य में अंतरिक्ष पर्यटन के लिए भी वाणिज्यिक उड़ानों की पेशकश करने पर विचार कर रहा है, जिससे भारत अंतरिक्ष अन्वेषण की दुनिया में नई ऊँचाइयाँ हासिल करेगा।