मोदी से मिलना आसान है, लेकिन राहुल से मुश्किलः आचार्य प्रमोद कृष्णम

स्वतंत्र समय, नई दिल्ली

कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी, जिसके बाद से वो लगातार चर्चा में हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को श्री कल्कि धाम शिलान्यास के संदर्भ में आमंत्रित करने के लिए मुलाकात की थी। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने इस मुलाकात को राजनीतिक दृष्टिकोण से न देखने की अपील की थी। अब कांग्रेस नेता ने कहा है कि राहुल गांधी से मिलने के लिए 1 साल से समय मांग रहे हैं लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई जबकि पीएमओ में फोन करने के 4 दिन बाद ही पीएम मोदी ने मिलने का समय दे दिया। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, वह राहुल गांधी से एक साल से मिलना चाहते हैं लेकिन उनसे वार्ता नहीं हो रही है। हो सकता है वह व्यस्त हो। यात्रा करते रहते हैं वो हो सकता है कि ज्यादा किसी से मिलना पसंद नहीं हो उन्हें। कांग्रेस नेता ने कहा कि इसके पीछे एक वजह यह भी हो सकती है कि मेरा संदेश शायद उन तक नहीं पहुंचाया जा रहा है। आचार्य ने आगे कहा, राहुल गांधी व्यस्त रहते हैं। वे थोड़ा कम मिलते हैं, उनका ज्यादा मिलने का स्वभाव भी नहीं है। राहुल गांधी के पास जब समय होगा तभी मिलेंगे। शायद उन्हें लगता होगा कि इनसे मिलना समय की बर्बादी है।

भाजपा नेताओं से की थी मुलाकात

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और कहा था कि प्रधानमंत्री को दैवीय शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त है। इसके बाद 4 फरवरी को उन्होंने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की थी। हालांकि, आचार्य प्रमोद कृष्णम ने इस मुलाकात को राजनीतिक दृष्टिकोण से न देखने की अपील की थी। उन्होंने भाजपा नेताओं को श्री कल्कि धाम शिलान्यास के संदर्भ में आमंत्रित करने के लिए मुलाकात की थी। इसके अलावा कांग्रेस नेता ने पीएम मोदी के सोमवार (5 फरवरी) को लोकसभा में दिए भाषण की भी जमकर तारीफ की है।

मल्लिकार्जुन खड़गे पर साधा निशाना

इससे पहले आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े पर भी निशाना साधा था। आचार्य ने कहा कि बड़े नेता को अपनी मर्यादा और भाषा का ध्यान रखना चाहिए। कार्यकर्ताओं से पार्टी बनती है। कार्यकर्ता कर्मठ और कर्मवीर होता है। सवाल किसी एक पार्टी का नहीं, सभी पार्टियां कार्यकर्ताओं के खून पसीने की बुनियाद पर खड़ी हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस भी कार्यकर्ताओं की बुनियाद पर खड़ी है। इन्हें लेकर जिस तरह की भाषा का प्रयोग हुआ, उससे न सिर्फ मुझे बल्कि तमाम कार्यकर्ताओं के मन को ठेस पहुंची है। इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए।