एशिया के सबसे बड़े गणपति की मूर्ति को सवा मन शुद्ध देशी घी (14 किलो) और 25 किलो सिंदूर से सजाया जा रहा है। 25 फीट ऊंची और 14 फीट चौड़ी इस मूर्ति को 11 ब्राह्मणों द्वारा चोला चढ़ाया जा रहा है। गणेशोत्सव की तैयारी के तहत यह शृंगार प्रसिद्ध मंदिर में हो रहा है, और इस प्रक्रिया को पूरा होने में लगभग एक सप्ताह लगेगा। इस दौरान भक्त भगवान के दर्शन सांकेतिक रूप से कर सकेंगे। साल में चार बार भगवान को चोला चढ़ाने की परंपरा यहां विशेष आस्था का केंद्र है।
गणपति बप्पा के विशाल स्वरूप के दर्शन के लिए देशभर से श्रद्धालु यहां आते हैं। भगवान की बैठी हुई मूर्ति की स्थापना 17 जनवरी 1901 को पूरी हुई थी और इसमें निर्माण में लगभग तीन साल लगे थे। इस मूर्ति को बनाने में तीर्थ स्थानों का जल, काशी, अयोध्या, अवंतिका, मथुरा की मिट्टी, घुड़साल, हाथीखाना, गोशाला की मिट्टी, रत्न, ईंट, बालू, चूना, मैथी के दाने का मसाला और धातुओं का इस्तेमाल किया गया है।
गणेशोत्सव 7 सितंबर से शुरू होगा, और इस अवसर पर प्रतिदिन हवन-पूजन सहित विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान होंगे। चोला चढ़ाने की प्रक्रिया में लगभग 15 दिन लग जाते हैं। इंदौर के खजराना गणेश मंदिर समेत शहर के सभी गणेश मंदिरों में गणेश उत्सव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस बार शहर के विभिन्न स्थानों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमाएं भी स्थापित की जाएंगी, जिससे उत्सव की धूमधाम और भी बढ़ जाएगी।