SIR वोटर लिस्ट में गड़बड़ी, जबलपुर में दो BLO और एक पटवारी निलंबित, AERO समेत आठ सुपरवाइज़रों को कारण बताओ नोटिस

लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों के बीच जबलपुर में मतदाता सूची को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। सूची से लगभग डेढ़ लाख मतदाताओं के नाम कथित रूप से बिना उचित प्रक्रिया के हटा दिए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। शिकायतों के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी और कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कड़ा कदम उठाते हुए सभी संबंधित अधिकारियों को 2 मार्च तक का अल्टीमेटम दिया है।

कलेक्टर ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जिन मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं, उनके घरों पर जाकर दोबारा भौतिक सत्यापन किया जाए। इस पूरी प्रक्रिया की रिपोर्ट फोटोग्राफ और जीपीएस लोकेशन के साथ पेश करनी होगी। लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ निलंबन से लेकर FIR तक की कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

अधिकारियों की बैठक में कलेक्टर ने दिखाई सख्ती

मतदाता सूची में गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद कलेक्टर दीपक सक्सेना ने सभी निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (IRO) और सुपरवाइजरों की एक आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में उन्होंने अधिकारियों के कामकाज पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। कलेक्टर ने कहा कि यह एक बेहद गंभीर मामला है और किसी भी सूरत में एक भी पात्र मतदाता का नाम सूची से नहीं कटना चाहिए।

उन्होंने साफ तौर पर कहा, “अगर सत्यापन के दौरान कोई भी ऐसा मतदाता अपने पते पर मौजूद पाया गया जिसका नाम काटा गया है, तो इसके लिए सीधे तौर पर बीएलओ, पटवारी, सुपरवाइजर और संबंधित IRO जिम्मेदार होंगे और उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।”

क्या है पूरा मामला?

यह विवाद तब शुरू हुआ जब कांग्रेस विधायक तरुण भनोट ने जिला प्रशासन से मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर नाम काटे जाने की शिकायत की। आरोप लगाया गया कि बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) और पटवारियों ने बिना घर-घर जाए और बिना उचित सत्यापन किए ही फॉर्म-7 भरकर हजारों मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए।

प्रारंभिक जांच में इन आरोपों को बल मिला, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया। कई मामलों में यह पाया गया कि मतदाता अपने पते पर ही निवास कर रहे हैं, लेकिन उन्हें मृत या स्थानांतरित बताकर उनका नाम सूची से हटा दिया गया था।

घर-घर होगा सत्यापन, देनी होगी रिपोर्ट

कलेक्टर के निर्देश के बाद अब जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों में एक विशेष अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत बीएलओ और अन्य कर्मचारी उन सभी डेढ़ लाख मतदाताओं के घर जाएंगे, जिनके नाम हटाए गए हैं।

  • भौतिक सत्यापन: कर्मचारी घर जाकर पुष्टि करेंगे कि मतदाता वहां रहता है या नहीं।
  • फोटोग्राफिक सबूत: सत्यापन की प्रक्रिया की तस्वीर लेनी होगी।
  • प्रमाण पत्र: सभी अधिकारियों को यह प्रमाण पत्र देना होगा कि उनके क्षेत्र में कोई भी पात्र मतदाता सूची से बाहर नहीं है और कोई भी अपात्र व्यक्ति सूची में शामिल नहीं है।

प्रशासन का यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए एक निष्पक्ष और त्रुटिहीन मतदाता सूची तैयार हो, ताकि कोई भी अपने मताधिकार से वंचित न रह जाए।