Jagannath Rath Yatra : मजार के सामने क्यों थम जाती है रथ यात्रा? जानें क्या हैं इसके पीछे वजह

Jagannath Rath Yatra : पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन भर नहीं, बल्कि यह भक्ति, समर्पण और सामाजिक समरसता का एक अद्भुत उदाहरण भी है। हर साल भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा तीन भव्य रथों पर सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। इस यात्रा के मार्ग में एक विशेष ठहराव होता है, एक ऐसी परंपरा जो श्रद्धा के साथ-साथ धार्मिक सौहार्द की मिसाल पेश करती है।

मुस्लिम भक्त सालबेग की मजार पर रुकते हैं रथ

पुरी मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है मुस्लिम संत सालबेग की मजार। आश्चर्य की बात यह है कि रथ यात्रा के दौरान तीनों रथ इस मजार के सामने कुछ क्षणों के लिए रुकते हैं। यह ठहराव कोई संयोग नहीं, बल्कि सैकड़ों वर्षों से निभाई जा रही एक दिव्य परंपरा है, जो एक भक्त की अनन्य भक्ति और भगवान की कृपा का प्रतीक है।

कौन थे सालबेग और क्यों भगवान उनके लिए रुके?

मान्यता के अनुसार, सालबेग एक मुस्लिम सूबेदार के पुत्र थे जो एक बार पुरी आए और भगवान जगन्नाथ की महिमा से अत्यंत प्रभावित हुए। हालांकि उन्हें मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली, लेकिन उनकी आस्था में कोई कमी नहीं आई। वे भजन-कीर्तन करने लगे और भगवान के प्रति उनकी भक्ति और भी प्रगाढ़ होती गई।

जब भगवान ने भक्त के लिए रोका अपना रथ

एक बार सालबेग बीमार हो गए और वे रथ यात्रा में भाग नहीं ले पाए। उसी समय भगवान जगन्नाथ की यात्रा शुरू हुई और रथ अचानक सालबेग की कुटिया के सामने आकर रुक गया। लाख कोशिशों के बावजूद रथ आगे नहीं बढ़ा। तब पुरी मंदिर के मुख्य पुजारी को स्वप्न में भगवान ने दर्शन दिए और बताया कि वे अपने प्रिय भक्त सालबेग का इंतजार कर रहे हैं।

सात दिन तक नहीं हिला रथ

कहा जाता है कि भगवान का रथ पूरे सात दिनों तक वहीं रुका रहा और मंदिर के सभी अनुष्ठान रथ पर ही किए गए। जब सालबेग स्वस्थ होकर वहां पहुंचे और भगवान के दर्शन किए, तब जाकर रथ आगे बढ़ सका। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि सच्ची भक्ति किसी धर्म या जाति की मोहताज नहीं होती।

आज भी जीवित है यह भक्ति परंपरा

वर्तमान में भी, हर साल रथ यात्रा के दौरान तीनों रथ सालबेग की मजार के सामने कुछ देर के लिए रुकते हैं। यह न केवल एक भक्त के प्रति भगवान की करुणा का प्रतीक है, बल्कि धार्मिक समरसता का भी संदेश देता है कि ईश्वर की दृष्टि में सभी समान हैं।