दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें उद्योगपति अनिल अंबानी के बेटे जय अनमोल अंबानी की कंपनी के बैंक अकाउंट को फ्रॉड घोषित किया गया था। जस्टिस ज्योति सिंह ने जय अनमोल अंबानी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। अदालत ने माना कि बैंक ने बिना कारण बताओ नोटिस जारी किए और बिना पक्ष सुने ही खाता फ्रॉड घोषित कर दिया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
नोटिस और सुनवाई के बिना लिया गया फैसला
याचिका में जय अनमोल अंबानी की ओर से दलील दी गई कि यूनियन बैंक ने खाता फ्रॉड घोषित करने से पहले उन्हें कोई अवसर नहीं दिया। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बनाम राजेश अग्रवाल मामले में दिए गए फैसले के विपरीत है, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि किसी भी खाते को फ्रॉड घोषित करने से पहले कर्ज लेने वाले को नोटिस देना और जवाब देने का मौका देना अनिवार्य है।
गलत पते पर भेजा गया कारण बताओ नोटिस
जय अनमोल अंबानी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट राजीव नायर ने अदालत को बताया कि यूनियन बैंक के हलफनामे से यह सामने आया है कि कथित कारण बताओ नोटिस उस पते पर भेजा गया था, जिसे कंपनी सितंबर 2020 में ही खाली कर चुकी थी। इस आधार पर यह स्पष्ट होता है कि बैंक की ओर से प्रभावी रूप से कोई नोटिस दिया ही नहीं गया था।
हाई कोर्ट की टिप्पणी और आदेश
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उपलब्ध तथ्यों से यह साबित होता है कि खाते को फ्रॉड घोषित करने से पहले कोई कारण बताओ नोटिस नहीं दिया गया था। अदालत ने कहा कि इस स्थिति में विवादित क्लासिफिकेशन और फ्रॉड घोषित करने का आदेश रद्द किया जाता है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह फैसला बैंक को नया कारण बताओ नोटिस जारी करने और कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई करने से नहीं रोकता।
नया नोटिस जारी करने की छूट
जस्टिस ज्योति सिंह ने निर्देश दिया कि यदि बैंक दोबारा कार्रवाई करना चाहता है, तो उसे जय अनमोल अंबानी को नया नोटिस जारी करना होगा और साथ ही सभी संबंधित दस्तावेज और सामग्री उपलब्ध करानी होगी, ताकि वे अपना जवाब दाखिल कर सकें। जवाब मिलने के बाद बैंक नए सिरे से आदेश पारित कर सकता है।
सीबीआई जांच और आरोपों की पृष्ठभूमि
इस मामले से जुड़ा एक और पहलू यह है कि सीबीआई ने अनिल अंबानी समूह की कंपनियों के खिलाफ करीब 14,853 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के मामलों में केस दर्ज किए हैं। जांच एजेंसी का आरोप है कि जय अनमोल अंबानी ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को धोखा दिया, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक को लगभग 228 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
रिलायंस होम फाइनेंस से जुड़ा मामला
सीबीआई के अनुसार, रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड, जहां जय अनमोल अंबानी निदेशक थे, ने बैंक से भारी मात्रा में कर्ज लिया था, लेकिन समय पर पुनर्भुगतान नहीं किया। फोरेंसिक ऑडिट में यह भी सामने आया कि कर्ज की रकम को तय उद्देश्यों के बजाय अन्य जगहों पर डायवर्ट और दुरुपयोग किया गया। इसके चलते खाता एनपीए में बदल गया। यूनियन बैंक ने करीब 228.06 करोड़ रुपये के नुकसान का दावा करते हुए खाते को फ्रॉड घोषित किया और इसके बाद आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और कदाचार के आरोपों में सीबीआई से शिकायत की थी।