सीताराम ठाकुर, भोपाल
जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश के हर घर नल के माध्यम से पेयजल मुहैया कराने की योजना पर अफसर पलीता लगा रहे हैं। इस योजना में लगातार करोड़ों के घोटाले ( scam ) भ्रष्टाचार का खुलासा होने के बाद भी पीएचई, जल निगम के अफसरों पर आज तक कार्रवाई नहीं हुई है। उधर, रीवा जिले में जल जीवन मिशन में फर्जी कामों के जरिए 136 करोड़ का घोटाला सामने आया है। इधर, सरकार का दावा है कि जांच रिपोर्ट मिलने के बाद व्यवस्था में सुधार किया गया है।
scam के कारण जल जीवन मिशन योजना अधर में
प्रदेश में घर-घर पीने का शुद्ध पानी पहुंचाने के उद्देश्य से 2019 को शुरू की गई जल जीवन मिशन योजना अधर में लटकी है। 2024 में मिशन का कार्य अधूरा होने के बाद केंद्र सरकार ने जुलाई 2024 में मप्र के 1271 सर्टिफाइड गांवों में सर्वे कराया। एक निजी एजेंसी द्वारा किए गए इस सर्वे में केवल 209 गांव ही मानकों पर खरे उतरे। वहीं, 217 गांवों में नल कनेक्शन तो लगाए गए, लेकिन पानी की सप्लाई शुरू नहीं हुई। 13 गांवों में नल कनेक्शन तक नहीं लगाए गए, बावजूद इसके कार्य पूरा दिखा दिया गया। 778 गांवों में जल गुणवत्ता की जांच में 390 सैंपल अमानक पाए गए। रिपोर्ट के अनुसार सबसे खबरा स्थिति रीवा, अलीराजपुर और सिंगरौली जिले के गांवो में है।
आईएएस की जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा
जल जीवन मिशन में मिली घोटाले की शिकायतों के बाद रीवा कलेक्टर के निर्देश पर सहायक कलेक्टर एवं आईएएस अधिकारी सोनाली देव की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी में कोषालय अधिकारी आरडी चौधरी, पुष्पराज सिंह, सरदार राहुल भाई पटेल तथा सहायक ग्रेड-3 कृष्णकांत वर्मा ने अभिलेखों की जांच की। कमेटी ने संधारित एवं उपलब्ध कराए गए व्हाउचरों, कैश बुक, स्टाक पंजी, वितरण विवरण, निविदा आदि का परीक्षण किया। साथ ही हैंडपंप मेंटेनेंस, विभिन्न फार्मों को किए गए साल बार भुगतान की रिपोर्ट ली। कमेटी ने जांच में पाया कि ठेकेदार द्वारा काम पूरा किए बिना ही करोड़ों का भुगतान कर दिया गया, बल्कि शासकीय धन की अनियमितता की गई।
ऐसे किया गया मिशन में भ्रष्टाचार…
योजना मद | राशि का भुगतान (रुपये में) |
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हैंडपंप मेंटेनेंस | 3,17,72,325 |
जल जीवन मिशन | 130,47,08,870 |
टीपीआई | 74,64,762 |
आईएसए | 85,70,124 |
वाहन, टाइपिंग | 1,02,94,344 |
कुल घोटाला | 136,28,00,000 |
यह इंजीनियर पाए गए भ्रष्टाचार में जिम्मेदार
रीवा में पदस्थ कार्यपालन यंत्री शरद कुमार सिंह, प्रभारी सहायक यंत्री, एसके श्रीवास्तव, आरके सिंह, एसके सिंह, केबी सिंह, अतुल तिवारी, उपयंत्री संजीव मरकाम, संभागीय लेखाधिकारी विकास कुमार आदि ने विभिन्न मदों में अतियिमितताएं करते हुए भुगतान किया। यह पूर्ण रूप से इस भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार पाए गए हैं। सरकार ने अभी तक इनके विरुद्ध केवल शोकॉज नोटिस देकर इतिश्री कर ली है।
हमने पूरी व्यवस्था फिर से सुधारी
यह 7-8 महीने पुराना मामला है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद उन गांवों में पेयजल और नल, टोंटी आदि की व्यवस्था सुधार दी गई है। जिन गांवों से संबंधित रिपोर्ट और गड़बड़ी पाई गई है। उसमें दोषी अधिकारियों पर भी कार्रवाई की गई है। संबंधित गांव के हितग्राहियों को पूर्ण रूप से पीने का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।
पी नरहरि, प्रमुख सचिव, पीएचई
कई गांवों के घरों में नहीं मिले नल और टोंटी
कमेटी ने हितग्राहियों के यहां एक दर्जन ग्रामों में पहुंच कर देखने में स्पष्ट पाया गया कि किसी भी गांव में पानी की सप्लाई संतोषजनक नहीं पाई गई। पाइप भी पूर्ण रूप से नहीं बिछाया गया। कई गांव ऐसे पाए गए जहां 90 प्रतिशत भुगतान हो गया, लेकिन एक भी घर में पानी की सप्लाई नहीं हुई। जिन गांवों का निरीक्षण कमेटी ने किया, उनमें जनकहाई, कोटवाखास, केचुआ, बराह, नष्टिगवां, मदरी, रमगढरा, दर्रहा, गेदुरहा, बदरांव तिवरियान, महरी तथा कोचरी में आदि के अधिकांश घरों में हितग्राहियों को पेयजल का लाभ जीरो प्रतिशत मिला। जबकि इन गांवों की आबादी 190 से लेकर 700 तक है। केवल दो गांव कुचआ में 20 प्रतिशत और बराह में 75 प्रतिशत पेयजल का लाभा गांव के लोगों को मिल रहा है। पीएचई के इंजीनियरों ने इन ठेकेदारों और फर्मों को भुगतान किया, उनमें अनुपमा एज्युकेशन सोसायटी, ज्वाला ग्रामीण स्वरोजगार एवं विकास तथा आईएसए के नाम शामिल है।