केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान भले ही बार-बार पत्र लिखकर सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के निलंबन की समीक्षा की मांग करे, भारत अपने फैसले पर कायम रहेगा। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने इस संधि को निलंबित कर दिया था, और पाटिल ने साफ किया कि इस संधि के तहत मिलने वाला पानी कहीं नहीं जाएगा।
बिलावल भुट्टो की धमकियों को खारिज किया
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के संधि को लेकर हालिया बयानों और धमकियों पर प्रतिक्रिया देते हुए पाटिल ने कहा, “वह जो कह रहे हैं, वह उनकी अपनी राय है और सिर्फ राजनीति के लिए है। उन्होंने खून और पानी के एक साथ बहने की बात कही, लेकिन हम ऐसी खोखली धमकियों से नहीं डरते।” एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाटिल ने दोहराया, “पानी कहीं नहीं जाएगा। हम झूठी धमकियों से प्रभावित नहीं होंगे।”
पाकिस्तान का पानी भारत के चार राज्यों में
समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से एक सूत्र ने बताया कि केंद्र सरकार ने सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को जाने वाले पानी को चार भारतीय राज्यों—राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली—के लिए डायवर्ट करने का फैसला किया है। जल शक्ति मंत्रालय इस फैसले को लागू करने के लिए युद्ध स्तर पर बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है। मंत्रालय का लक्ष्य है कि पाकिस्तान के लिए निर्धारित पानी की एक बूंद भी बर्बाद न हो और इसका उपयोग इन चार राज्यों की जल आवश्यकताओं को पूरा करने में हो।
राष्ट्रीय हित सर्वोपरि
पाटिल ने कहा, “यह निर्णय भारत सरकार का है और जो भी फैसला लिया जाएगा, वह केवल राष्ट्र के हित में होगा।” उन्होंने यह भी बताया कि वह मंत्रालय में कई बैठकों के जरिए सिंधु जल संधि से जुड़े मुद्दों की समीक्षा और चर्चा कर रहे हैं। भारत का यह रुख न केवल आतंकवाद के खिलाफ उसकी सख्त नीति को दर्शाता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रीय संसाधनों का उपयोग देश के विकास के लिए हो।