उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले के जेवर में बन रहा नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (Noida International Airport) अब उद्घाटन के कगार पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 अक्टूबर को इसका उद्घाटन करेंगे। यह हवाई अड्डा देश की आधुनिकतम तकनीकों से सुसज्जित होगा और सौर ऊर्जा, अत्याधुनिक जेट ब्रिज तथा बेहतर कनेक्टिविटी के साथ यात्रियों को विश्वस्तरीय अनुभव प्रदान करेगा।
यात्रियों की सुविधा के लिए खास इंतज़ाम
नोएडा एयरपोर्ट में यात्रियों की सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। यहां एक ग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन सेंटर (GTC) बनाया जा रहा है, जो एयरपोर्ट की प्रमुख विशेषताओं में से एक होगा। लगभग 20 एकड़ में तैयार हो रहा यह सेंटर दोनों टर्मिनलों के बीच स्थित होगा। पहले चरण का कार्य लगभग 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है।
GTC में 1200 से अधिक वाहनों की पार्किंग की सुविधा होगी, साथ ही इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन भी लगाए जा रहे हैं। इसे इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यात्री पैदल ही टैक्सी, बस या कैब तक आसानी से पहुंच सकें।
कनेक्टिविटी को मिलेगी नई रफ्तार
नोएडा एयरपोर्ट से न केवल दिल्ली-एनसीआर बल्कि पूरे उत्तर भारत की सड़क और परिवहन कनेक्टिविटी में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (YIAPL) ने यात्रियों की सुविधा के लिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा रोडवेज से समझौता किया है। उद्घाटन के दिन से ही इन राज्यों की बसें एयरपोर्ट से संचालित होंगी।
इसके अलावा, Rapido, Uber और Mahindra जैसी सेवाओं के साथ टैक्सी की सुविधा भी उपलब्ध होगी। यात्री सीधे कुरुक्षेत्र, चंडीगढ़, हिसार, गुरुग्राम, देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, अंबाला, फरीदाबाद और पश्चिमी यूपी के प्रमुख शहरों तक आसानी से पहुंच सकेंगे।
जर्मनी और ब्रिटेन की तर्ज पर बना जीटीसी
नोएडा एयरपोर्ट का GTC अपने आप में अंतरराष्ट्रीय स्तर का ढांचा होगा। इसे जर्मनी के फ्रैंकफर्ट और लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट की तर्ज पर तैयार किया जा रहा है।
यहां बस, मेट्रो, कार और नमो भारत ट्रेन की सुविधा एक ही छत के नीचे मिलेगी। यात्रियों के लिए भूमिगत स्टेशन, वाणिज्यिक क्षेत्र, रेस्तरां, लाउंज, और अन्य सुविधाओं के साथ एक विशाल कॉनकोर्स बनाया जा रहा है।
पहले चरण में विशाल क्षमता वाला एयरपोर्ट
नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का पहला चरण लगभग पूरा हो चुका है। इसमें एक रनवे और एक यात्री टर्मिनल होगा, जो हर साल 1.2 करोड़ यात्रियों को संभालने की क्षमता रखेगा।
एयरपोर्ट का निर्माण कार्य वर्ष 2019 में शुरू हुआ था और इसे चार चरणों में पूरा करने की योजना है। संचालन शुरू होने के बाद यह भारत का सबसे बड़ा हवाई अड्डा बन जाएगा, जो दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का पूरक होगा।
पर्यावरण के प्रति सजग डिज़ाइन
नोएडा एयरपोर्ट को पूरी तरह सौर ऊर्जा से संचालित किया जाएगा। यहां जलभराव-रोधी बुनियादी ढांचा विकसित किया गया है ताकि किसी भी मौसम में संचालन में बाधा न आए। यह पर्यावरण-संवेदनशील और ग्रीन एनर्जी आधारित एयरपोर्ट होगा।
अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस टर्मिनल
- एयरपोर्ट पर यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
- 3.9 किलोमीटर लंबा रनवे बड़े विमानों के लिए उपयुक्त होगा।
- 10 उन्नत जेट ब्रिज लगाए गए हैं, जिससे यात्री सीधे विमान में प्रवेश कर सकेंगे — बस या सीढ़ियों की जरूरत नहीं होगी।
- आवश्यकता पड़ने पर 3 अस्थायी एयरोब्रिज भी उपयोग में लाए जाएंगे।
- अग्नि सुरक्षा के लिए 180-डिग्री निगरानी प्रणाली वाला उन्नत ARFF टावर तैयार किया गया है।
- सामान जांच के लिए स्वचालित ट्रे रिट्रीवल सिस्टम (ATRS) लगाया गया है, जिससे चेक-इन प्रक्रिया तेज़ और आसान होगी।
PPP मॉडल पर तैयार हो रहा है भारत का गौरव
इस परियोजना का विकास उत्तर प्रदेश सरकार और स्विट्ज़रलैंड की ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी की सहायक कंपनी के सहयोग से पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत किया जा रहा है।
यह एयरपोर्ट न केवल देश की हवाई यात्रा सुविधाओं को नई ऊंचाई देगा, बल्कि उत्तर भारत के आर्थिक विकास को भी नई दिशा प्रदान करेगा।