राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने इंदौर में आयोजित समीक्षा बैठक के दौरान महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए। रेसीडेंसी कोठी में हुई इस बैठक में इंदौर संभाग के कलेक्टर्स, जिला पंचायत सीईओ और अन्य अधिकारी शामिल हुए। बैठक की शुरुआत में संभागायुक्त सुदाम खाड़े ने प्रदेश और संभाग में महिला सशक्तिकरण योजनाओं विशेषकर लाड़ली लक्ष्मी और लाड़ली बहना की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की।
महिला सुरक्षा के लिए प्रोटेक्शन ऑफिसर और इंटरनल कमेटी की अनिवार्यता
बैठक में आयोग अध्यक्ष ने कहा कि बालक-बालिका अनुपात के अंतर को कम करने के लिए एक विशेष रणनीति तैयार की जाए। उन्होंने निर्देश दिया कि महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए हर जिले में प्रोटेक्शन ऑफिसर की नियुक्ति अगले दो माह में पूरी कर ली जाए।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी संस्थान में यदि 10 या उससे अधिक महिलाएँ काम करती हैं, तो वहाँ इंटरनल कमेटी (Internal Committee) का गठन अनिवार्य रूप से किया जाए। इसके लिए ब्लॉक स्तर से लेकर जिला स्तर तक जागरूकता अभियान चलाने और व्यापक प्रचार-प्रसार करने पर जोर दिया गया। आयोग अध्यक्ष ने कहा कि कलेक्टर और कमिश्नर स्वयं इस प्रक्रिया की नियमित मॉनिटरिंग करें, ताकि महिलाओं को कार्यस्थल पर सुरक्षा और निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित हो सके।

समाज में बढ़ते तलाक पर चिंता, प्री-मैरिटल कम्युनिकेशन सेंटर खोलने पर जोर
बैठक में रहाटकर ने बताया कि समाज में विवाह तो हो रहे हैं, लेकिन दंपत्तियों में आपसी संवाद की कमी के कारण तलाक के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसे रोकने के लिए उन्होंने प्री-मैरिटल कम्युनिकेशन सेंटर शुरू करने का सुझाव दिया।
इन सेंटरों में मनोवैज्ञानिक और सोशल वर्क विशेषज्ञ दंपत्तियों को काउंसलिंग देंगे। उन्होंने बताया कि नागपुर के शंभाजी नगर में ऐसे सेंटर चल रहे हैं और सकारात्मक परिणाम भी मिले हैं। आयोग का लक्ष्य देशभर में 100 प्री-मैरिटल कम्युनिकेशन सेंटर शुरू करना है।

इंदौर कलेक्टर ने प्रस्तुत किए महिला आजीविका बढ़ाने के प्रयास
इंदौर कलेक्टर शिवम वर्मा ने बैठक में बताया कि भिक्षावृत्ति मुक्त इंदौर अभियान के तहत महिलाओं को प्रशिक्षण देकर विभिन्न रोजगार गतिविधियों से जोड़ा गया है। इस पहल से न केवल महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है बल्कि उन्हें सम्मानजनक आजीविका भी मिली है। उनका कहना था कि यह अभियान सिर्फ भिक्षावृत्ति खत्म करने की कोशिश नहीं, बल्कि महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
झाबुआ का ‘मोटी आई अभियान’ बना जनभागीदारी का उदाहरण
झाबुआ कलेक्टर नेहा मीना ने बताया कि जिले में चलाया जा रहा मोटी आई अभियान अब जनआंदोलन का रूप ले चुका है। ‘मोटी आई’ यानी वह बड़ी माँ, जो सभी बच्चों का ध्यान रखती है — इसी भावना के साथ इस अभियान की शुरुआत हुई। इसके तहत उन ग्रामीण महिलाओं को आंगनवाड़ी में जिम्मेदारी दी गई है, जिनके बच्चे स्वस्थ और तंदुरुस्त हैं। ये महिलाएँ कुपोषित बच्चों के अभिभावकों को नियमित परामर्श देती हैं, जिससे जिले में कुपोषण में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है।
बड़वानी में ग्रीन कमांडो पोषण क्लीनिक और सिकल सेल उन्मूलन अभियान
बड़वानी कलेक्टर जयती सिंह ने बताया कि जिले में ग्रीन कमांडो पोषण क्लीनिक एक प्रभावी नवाचार के रूप में संचालित किए जा रहे हैं। इन क्लीनिकों में बच्चों और माताओं की नियमित स्वास्थ्य जांच, पोषण परामर्श और आवश्यक सप्लीमेंट वितरण किया जाता है। उन्होंने बताया कि स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देकर ग्रीन कमांडो के रूप में तैयार किया गया है, जो समुदाय में पोषण जागरूकता बढ़ाने का काम कर रहे हैं। साथ ही जिले में सिकल सेल उन्मूलन अभियान भी मजबूत तरीके से संचालित हो रहा है।
बैठक में कई वरिष्ठ अधिकारी डी.एस. रणदा, सपना लोवंशी, डॉ. पूर्णिमा गडरिया, डॉ. शॉजी जोसेफ, डॉ. माधव हसानी, संध्या व्यास, रजनीश सिन्हा उपस्थित रहे और महिला सुरक्षा, पोषण, शिक्षा तथा आजीविका बढ़ाने के विभिन्न योजनाओं की प्रगति पर विस्तार से चर्चा की गई।