Jharkhand: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निजी सलाहकार सुनील श्रीवास्तव और उनके करीबी लोगों पर आयकर विभाग ने टैक्स संबंधी गड़बड़ियों के मामले में व्यापक छापेमारी की है। रांची और जमशेदपुर में 16-17 स्थानों पर की गई इस छापेमारी का उद्देश्य सुनील श्रीवास्तव और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा की गई कर चोरी और वित्तीय अनियमितताओं की जांच करना है। इस कार्रवाई में आयकर विभाग की टीमों ने श्रीवास्तव और उनके सहयोगियों के कई ठिकानों पर दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच की है, जिससे उनके वित्तीय लेनदेन और करों में संभावित अनियमितताओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होने की संभावना है।
आयकर विभाग ने झारखंड में राजधानी रांची के सात और जमशेदपुर के नौ स्थानों पर छापेमारी की है। इस कार्रवाई के तहत जमशेदपुर स्थित अंजानिया इस्पात सहित कई अन्य प्रतिष्ठानों पर भी तलाशी ली गई है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, इस छापेमारी से वित्तीय अनियमितताओं और कर चोरी से संबंधित अधिक जानकारी सामने आ सकती है। फिलहाल, विभाग इस मामले में जुटाए गए साक्ष्यों की गहन जांच कर रहा है, और आने वाले दिनों में इस संबंध में विस्तृत जानकारी जारी होने की संभावना है।
आयकर विभाग की इस छापेमारी की मुख्य वजह सुनील श्रीवास्तव द्वारा कथित टैक्स अनियमितताओं का मामला बताया जा रहा है। विभाग को जानकारी मिली थी कि श्रीवास्तव ने अपने टैक्स से जुड़े मामलों में गड़बड़ियां की हैं, जिसके चलते कर में अनियमितता के आरोपों की जांच के लिए यह कार्रवाई की गई। रांची और जमशेदपुर में उनके ठिकानों पर की गई छापेमारी के दौरान आयकर विभाग ने कई दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए हैं, जिन्हें अब जांच के लिए खंगाला जा रहा है। इस मामले में आगे की जानकारी आने की संभावना है, जिससे कथित अनियमितताओं का पूरा विवरण सामने आ सकेगा।
झारखंड में यह पहली बार नहीं है जब आयकर विभाग ने बड़ी छापेमारी की है। इससे पहले 26 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के दौरान हवाला के जरिए धन के लेन-देन की सूचना पर भी व्यापक कार्रवाई हुई थी। उस समय रांची, जमशेदपुर, गिरिडीह और कोलकाता में आयकर विभाग ने छापेमारी की थी, जिसमें लगभग 150 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति और निवेश के दस्तावेज बरामद किए गए थे। उस छापेमारी के दौरान आयकर अधिकारियों ने कई महत्वपूर्ण कागजात, नकदी और अन्य संपत्तियों के रिकॉर्ड जब्त किए थे, जिनसे राज्य में कर चोरी और अवैध वित्तीय लेन-देन का खुलासा हुआ। इस बार की छापेमारी भी इसी तरह की वित्तीय अनियमितताओं पर केंद्रित है, और जांच के बाद और जानकारी सामने आने की संभावना है।
14 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड सरकार के मंत्री मिथिलेश ठाकुर और उनके संबंधियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। यह कार्रवाई जल जीवन मिशन से संबंधित परियोजनाओं में अनियमितताओं के आरोपों के आधार पर की गई थी। इस छापेमारी में ईडी ने 20 से अधिक स्थानों पर तलाशी ली, जिनमें मंत्री के भाई, उनके निजी सचिव, और परियोजना से जुड़े कई विभागीय इंजीनियरों के ठिकाने शामिल थे। ईडी द्वारा की गई इस छानबीन में परियोजनाओं में वित्तीय गड़बड़ियों और अनियमितताओं से संबंधित साक्ष्य जुटाने का प्रयास किया गया। इससे जल जीवन मिशन के तहत किए जा रहे कार्यों की पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं, और ईडी इस मामले में जांच को आगे बढ़ा रही है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंत्री मिथिलेश ठाकुर और उनके करीबियों पर ईडी की छापेमारी को लेकर बयान दिया था कि इस तरह की कार्रवाई अप्रत्याशित नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष चुनाव के समय ऐसी गतिविधियों का सहारा लेता है, और यह कार्रवाई विपक्ष के इशारे पर की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राजनीतिक दबाव बनाने का प्रयास है और इसे सरकार को अस्थिर करने की साजिश के रूप में देखा जाना चाहिए। सोरेन ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार इन दबावों से पीछे नहीं हटेगी और जनता के हित में काम करना जारी रखेगी।