जस्टिस संजीव खन्ना बने देश के मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति मुर्मू ने दिलाई पद की शपथ, जानें उनके बारें में पूरी डिटेल

आज, 11 नवंबर 2024 को, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस संजीव खन्ना को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ दिलाई। यह शपथ ग्रहण समारोह राष्ट्रपति भवन में सुबह 10 बजे हुआ। जस्टिस संजीव खन्ना, जो अब तक सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल समाप्त हो चुका है। इस शपथ ग्रहण के साथ, जस्टिस खन्ना सुप्रीम कोर्ट की सर्वोच्च न्यायिक कुर्सी पर विराजमान हुए हैं।

जस्टिस संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट में कई ऐतिहासिक फैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके द्वारा दिए गए फैसले भारतीय न्यायिक इतिहास में मील का पत्थर बन गए हैं। जस्टिस खन्ना ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया, जिससे चुनावी फंडिंग की पारदर्शिता पर एक अहम सवाल खड़ा हुआ। इसके अलावा, उन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के निर्णय में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो जम्मू और कश्मीर से जुड़े संवैधानिक मामलों पर एक बड़ा फैसला था।

उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की पवित्रता को बनाए रखने का भी समर्थन किया, जिससे चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर एक मजबूत नजरिया दिया। इसके अतिरिक्त, जस्टिस खन्ना ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने का फैसला भी किया, जो राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था। उनके निर्णयों को उनके न्यायिक विवेक, कानूनी समझ और निष्पक्षता के लिए सराहा गया है, जिससे उन्होंने भारतीय न्यायपालिका में एक मजबूत और प्रभावशाली स्थान प्राप्त किया है।

जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई, 1960 को दिल्ली में हुआ था और उनका परिवार न्यायिक पृष्ठभूमि से जुड़ा हुआ है। उनके पिता, जज देव राज खन्ना, दिल्ली हाई कोर्ट के जज रहे हैं, जबकि उनके चाचा, एच आर खन्ना, भारतीय सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख न्यायाधीश रहे थे। इस न्यायिक परिवार से जुड़ी उनकी पृष्ठभूमि ने उन्हें न्यायिक करियर की ओर प्रेरित किया।

जस्टिस खन्ना ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से प्राप्त की, जहां से उन्होंने कानून में गहरी समझ और ज्ञान हासिल किया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में वकालत की और न्यायिक क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत की। उनके कानूनी करियर की शुरुआत से ही वे एक संवेदनशील और विवेकी न्यायाधीश के रूप में पहचाने गए। उनकी न्यायिक यात्रा में उनके निर्णयों को उनकी कानूनी समझ और निष्पक्ष दृष्टिकोण के लिए सराहा गया है।

जस्टिस संजीव खन्ना ने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में शामिल होकर कानूनी पेशे में कदम रखा। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत जिला अदालतों में की, और बाद में दिल्ली हाई कोर्ट में वकालत की। अपने पेशेवर जीवन में, उन्होंने आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील के रूप में भी कार्य किया। 2004 में, उन्हें दिल्ली के लिए स्थायी वकील (सिविल) के रूप में नियुक्त किया गया था, जो उनके कानूनी करियर का महत्वपूर्ण मोड़ था।

जस्टिस खन्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट में कई महत्वपूर्ण आपराधिक मामलों में वकालत की और अपनी निपुणता और कानूनी कौशल से पहचाने गए। उनके द्वारा लड़े गए केसों में न्यायिक विवेक और कानूनी समझ का बेहतरीन उदाहरण देखने को मिला, और उनकी यह विशेषता उनके न्यायिक करियर में भी जारी रही, जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में योगदान दिया।

24 अक्टूबर 2024 को जस्टिस संजीव खन्ना की भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में नियुक्ति की घोषणा की गई। इससे पहले, 16 अक्टूबर 2024 को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस खन्ना के नाम की सिफारिश की थी। इसके बाद, 11 नवंबर 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा। उनके कार्यकाल की शुरुआत न्यायिक सुधारों और महत्वपूर्ण फैसलों की उम्मीदों के साथ हुई है, और उनका योगदान भारतीय न्यायपालिका में महत्वपूर्ण रहेगा।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल 10 नवंबर 2024 को समाप्त हुआ। इस दौरान, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों, वकीलों और कर्मचारियों ने उन्हें एक गर्मजोशी से विदाई दी, जिसमें उनके दो वर्षों के सफल और प्रभावशाली कार्यकाल की सराहना की गई। जस्टिस चंद्रचूड़ के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले लिए गए, जिन्होंने भारतीय न्यायिक प्रणाली में सुधार और मजबूती का काम किया। उनके विदाई के बाद, जस्टिस संजीव खन्ना ने 11 नवंबर 2024 को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला। अब जस्टिस संजीव खन्ना के नेतृत्व में भारतीय न्यायपालिका एक नए अध्याय में प्रवेश कर रही है, जिसमें उनकी व्यापक न्यायिक समझ और अनुभव से न्यायिक प्रणाली को और भी सुदृढ़ किया जाएगा। उनका कार्यकाल भारतीय न्यायपालिका के लिए एक नई दिशा और समृद्धि लाने का प्रतीक हो सकता है।