करीब पांच वर्षों के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर कैलाश मानसरोवर यात्रा इस वर्ष शुरू होने जा रही है। यात्रा का शुभारंभ 30 जून से होगा और यह अगस्त तक चलेगी। इस बार यात्रा को दो मार्गों — लिपुलेख और नाथुला — से संचालित किया जाएगा। हालांकि, इस बार यात्रियों की संख्या में कटौती की गई है। वर्ष 2019 में जहां 1580 श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल हुए थे, वहीं इस बार केवल 750 लोगों को ही अनुमति दी गई है।
लिपुलेख मार्ग से केवल 250 यात्री जाएंगे
लिपुलेख रास्ते से इस वर्ष केवल पांच जत्थे भेजे जाएंगे, जिनमें प्रत्येक में 50-50 यात्री शामिल होंगे। इस प्रकार कुल 250 यात्री इस मार्ग से यात्रा कर सकेंगे। इस रूट से जाने पर एक श्रद्धालु को लगभग 1 लाख 74 हजार रुपये का खर्च उठाना होगा।
नाथुला रूट से 500 श्रद्धालुओं की अनुमति
नाथुला दर्रे से 10 जत्थों के ज़रिए यात्रा कराई जाएगी, जिनमें भी हर जत्थे में 50 यात्री होंगे। इस रूट से कुल 500 श्रद्धालु यात्रा करेंगे। इस मार्ग से यात्रा का खर्च प्रति व्यक्ति लगभग 2 लाख 83 हजार रुपये आंका गया है। साथ ही, चीन ने इस बार शुल्क में 20 हजार रुपये की बढ़ोतरी कर दी है।
भोपाल के श्रद्धालुओं को नहीं मिला मौका
ओम शिव शक्ति सेवा मंडल के सचिव रिंकू भटेजा के अनुसार, भोपाल से कई लोगों ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए आवेदन किया था, लेकिन कम कोटे के कारण सभी आवेदन प्रतीक्षा सूची में ही रह गए हैं। अब तक किसी भी आवेदक को यात्रा के लिए कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है, जिससे भोपाल के श्रद्धालु निराश हैं।
हर जत्थे की संख्या में भी कटौती
इस बार उत्तराखंड स्थित लिपुलेख मार्ग से सिर्फ पांच जत्थे भेजे जाएंगे, जबकि 2019 में यहां से 60 यात्रियों के 18 जत्थे भेजे जाते थे। अब जत्थों की संख्या घटाकर पांच कर दी गई है और हर जत्थे में भी अब केवल 50 यात्री ही शामिल होंगे।
राजस्थान से सीमित श्रद्धालु करेंगे यात्रा
राजस्थान राज्य से भी इस बार बहुत सीमित संख्या में लोग कैलाश यात्रा में भाग ले पाएंगे। लिपुलेख मार्ग से करीब 30 और नाथुला मार्ग से करीब 35 से 40 यात्री ही यात्रा में सम्मिलित हो सकेंगे। यात्रा पर आने वाले खर्च और सीमित स्लॉट्स के चलते श्रद्धालुओं की उत्साह में कमी देखी जा रही है।