Kajari Teej 2025 Date: कजरी तीज कब है? जानें व्रत की तिथि, शुभ योग, भद्रा काल और पूजा का महत्व

कजरी तीज हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए अत्यंत पवित्र व्रत और पर्व माना जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और विशेष रूप से उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में इसे बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करती हैं। वे दिनभर व्रत रखती हैं, झूला झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और मेहंदी रचाकर उत्सव का आनंद लेती हैं। यह पर्व विशेष रूप से वैवाहिक सुख, सौभाग्य और परिवार की समृद्धि के लिए मनाया जाता है।

कजरी तीज 2025 की तिथि और पूजा की मान्यता

वर्ष 2025 में कजरी तीज 12 अगस्त, मंगलवार को मनाई जाएगी। हालांकि तृतीया तिथि 11 अगस्त को सुबह 10:33 बजे से ही शुरू हो जाएगी और यह 12 अगस्त की सुबह 8:40 बजे तक रहेगी। लेकिन उदया तिथि को मान्य होने के कारण 12 अगस्त को ही कजरी तीज का व्रत और पूजा की जाएगी। इस दिन माता पार्वती की पूजा करके महिलाएं सुखी दांपत्य जीवन और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

दो शुभ योगों का अद्भुत संयोग

कजरी तीज 2025 पर दो बेहद शुभ योग बन रहे हैं, जो इस पर्व को और अधिक मंगलकारी बना रहे हैं।
1. सुकर्मा योग – यह शुभ योग 12 अगस्त की सुबह से लेकर शाम 6:54 बजे तक रहेगा। यह योग अच्छे कर्मों और शुभ कार्यों की सफलता के लिए अत्यंत अनुकूल माना जाता है।
2. सर्वार्थ सिद्धि योग – यह योग दोपहर 11:52 बजे से आरंभ होकर अगले दिन 13 अगस्त सुबह 5:49 बजे तक रहेगा। यह योग सभी प्रकार की इच्छाओं की पूर्ति और कार्य सिद्धि में सहायक होता है।

नक्षत्र और विशेष मुहूर्त की जानकारी

इस दिन पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र सुबह से लेकर 11:52 बजे तक रहेगा, इसके बाद उत्तराभाद्रपद नक्षत्र प्रारंभ होगा। पूजा के लिए सबसे शुभ समय अभिजीत मुहूर्त माना गया है, जो दोपहर में 11:59 बजे से 12:52 बजे तक रहेगा। जो श्रद्धालु प्रातःकाल पूजा करना चाहते हैं, उनके लिए ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:23 से 5:06 बजे तक रहेगा।

भद्रा का साया: शुभ कार्यों में बाधा का संकेत

हालांकि इस वर्ष कजरी तीज के दिन भद्रा काल भी रहेगा, जो सुबह 5:49 बजे से 8:40 बजे तक है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए क्योंकि भद्रा काल में किए गए कार्यों में विघ्न आने की संभावना अधिक होती है। शास्त्रों के अनुसार, इस अवधि में पूजा, यात्रा या नए कार्य आरंभ करना वर्जित होता है।

रोग पंचक का प्रभाव: सेहत के लिए सावधानी जरूरी

कजरी तीज 2025 के दिन रोग पंचक भी है, जो 10 अगस्त, रविवार से आरंभ हुआ है। रविवार को आरंभ होने के कारण इसे रोग पंचक कहा जाता है। इस पंचक काल में सेहत संबंधी समस्याएं और रोगों की आशंका बनी रहती है। अतः इस दौरान शरीर का विशेष ध्यान रखने और अत्यधिक शारीरिक परिश्रम से बचने की सलाह दी जाती है।

कजरी तीज का महत्व और धार्मिक प्रभाव

कजरी तीज सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि एक धार्मिक आस्था, परंपरा और प्रेम का पर्व है। इस दिन महिलाओं द्वारा रखा गया व्रत, शिव-पार्वती की कृपा प्राप्त करने और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनाए रखने का एक आध्यात्मिक माध्यम है। यह पर्व दर्शाता है कि कैसे नारी श्रद्धा और भक्ति से जीवन को शुभ बना सकती है। माता पार्वती का पूजन करने से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।