स्वतंत्र समय, इंदौर
लगभग 350 करोड़ रुपए की लागत से तीन बड़े सीवर ट्रीटमेंट प्लांट यानी एसटीपी ( STP ) बनाए जाएंगे। इसके लिए सरकार ने राशि भी मंजूर कर दी है। शहर के बीच बहने वाली कान्ह-सरस्वती नदी शुद्धिकरण का काम कई सालों से चल रहा है और इसके शुद्धिकरण पर सरकार अरबों रुपया खर्च कर चुकी है, लेकिन हालात ज्यों के त्यो ही बने हुए है। अब भारत सरकार के नमामि गंगे मिशन के अंतर्गत इंदौर शहर में बहने वाली कान्ह-सरस्वती नदी शुद्धिकरण के लिए दिल्ली से टैंडर की अनुमति प्राप्त हो चुकी है।
मुख्यमंत्री कर चुके हैं STP का भूमिपूजन
उज्जैन में सिंहस्थ का मेला वर्ष 2028 में लगेगा। शिप्रा में कान्ह-सरस्वती नदी का गंदा पानी न मिले, इसके लिए सिंहस्थ के पहले नमामी गंगे मिशन के तहत 3 बड़े एसटीपी ( STP ) बनाए जा रहे है। लक्ष्मीबाई प्रतिमा के पास 35 एमएलडी, कबीटखेड़ी में 120 एमएलडी और कनाडिय़ा में 40 एमएलडी के यह एसटीपी बनाए जाएंगे, जिनको बनाने के टेंडर को मंजूरी दिल्ली से मिल गई है। जब काम अगले महीने जनवरी में शुरू होगा, क्योंकि एसटीपी निर्माण को लेकर एजेंसी तय होने के साथ पिछले दिनों मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भूमिपूजन भी कर चुके हैं।
निगम बुलाएगा आन लाइन टैंडर
राशि मंजूर होने के बाद नगर निगम ने कान्ह-सरस्वती शुद्धिकरण के लिए ऑनलाइन टेंडर बुलाए। टैंडर आने के बाद निगम ने तकनीकी परीक्षण करने के बाद मंजूरी का प्रस्ताव बनाकर दिल्ली भेज गया था जहां से मंजूरी मिल गई है। अब कान्ह-सरस्वती नदी शुद्धीकरण के लिए काम अगले महीने जनवरी से 3 बड़े सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाने का काम शुरू होगा।
कालोनियों के ड्रैनेज का पानी आ रहा है नदियों में
कान्ह सरस्वती नदी शुद्धीकरण के लिए निगम जलयंत्रालय एवं ड्रेनेज विभाग ने शहरी सीमा के कुछ हिस्सों में नाला टैपिग की है, लेकिन यह फेल हो गई। निगम सीमा के अंदर व बाहर की कॉलोनियों में से डै्रनेज का पानी नदियों में आ रहा और फिर से नदी प्रदूषित हो रही है। इस कारण कान्ह सरस्वती नदी के कई हिस्सों में कचरा-गंदगी और गाद जमने की समस्या फिर से आने लगी है। इसके साथ ही निगम दोनों नदी को साफ करने के काम पर करोड़ों रुपए खर्च कर चुके हैं।
ठेकेदार एजेंसियों के नाम की सूची दिल्ली भेजी
निगम के अफसरों का कहना है कि एसटीपी निर्माण को लेकर टेंडर आने के बाद तकनीकी परीक्षण में देखा गया था कि ठेकेदार एजेंसी की फाइनेंशियल स्थिति क्या हैं। यह इतना बड़ा काम कर सकती है या नहीं। साथ ही ठेकेदार एजेंसी का अनुभव और वर्क प्रोग्रेस रिपोर्ट भी देखी गई हैं। इन सबके आधार पर प्रस्ताव बनाकर और टेंडर में शामिल ठेकेदार एजेंसियों के नाम की सूची दिल्ली भेज दी गई थी। अब टेंडर को दिल्ली से मंजूरी हो गई है।