कपिल सिब्बल का आरोप, जजों की नियुक्ति पर नियंत्रण चाहती है सरकार

कपिल सिब्बल : राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मंगलवार को सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सरकार जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया को अपने नियंत्रण में लेना चाहती है। सिब्बल के मुताबिक, सरकार जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग जैसी कार्रवाई करके कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करना चाहती है और उसकी जगह नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन (NJAC) लागू करना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का मकसद न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करना है। सिब्बल ने आरोप लगाया कि सरकार जस्टिस वर्मा और जस्टिस शेखर यादव के मामलों में निष्पक्ष रवैया नहीं अपना रही है और दोनों मामलों में भेदभाव हो रहा है। उन्होंने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि अगर न्यायपालिका पर दबाव बनाया गया तो लोकतंत्र कमजोर होगा। सिब्बल का यह बयान न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव को और बढ़ा सकता है।

जस्टिस शेखर पर कार्रवाई न होने पर कपिल सिब्बल ने उठाए सवाल

कपिल सिब्बल ने कहा कि जस्टिस शेखर यादव पर पिछले साल सांप्रदायिक टिप्पणी करने का आरोप लगा था। इस मामले में एक विपक्षी सांसद ने राज्यसभा में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव भी दिया था, लेकिन राज्यसभा के सभापति ने अब तक उस पर कोई फैसला नहीं लिया है। वहीं, जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित घर में पिछले साल मार्च में आग लग गई थी। आग बुझाने के बाद उनके घर से काफी मात्रा में जले हुए पैसे मिले थे। इसके बाद उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट की एक जांच समिति ने अपनी जांच में उन्हें दोषी ठहराया था, हालांकि जस्टिस वर्मा ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया था।

महाभियोग कार्रवाई को लेकर जस्टिस वर्मा के मामले में सवाल खड़े

कपिल सिब्बल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार कॉलेजियम सिस्टम खत्म कर जजों की नियुक्ति पर नियंत्रण चाहती है। उन्होंने जस्टिस वर्मा का समर्थन करते हुए कहा कि वे ईमानदार और योग्य जज हैं। सिब्बल ने सवाल उठाया कि जिनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है, लेकिन जिनके खिलाफ पक्के सबूत हैं, उन पर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा।