लव मैरिज में माता-पिता की सहमति जरूरी हो: गुजरात-हरियाणा के बाद अब MP में उठी मांग, 21 दिसंबर को करणी सेना का बड़ा आंदोलन

Karni Sena : गुजरात और हरियाणा के बाद अब मध्य प्रदेश में भी लव मैरिज (प्रेम विवाह) के नियमों को सख्त बनाने की मांग उठने लगी है। करणी सेना ने मांग की है कि लव मैरिज के लिए माता-पिता की सहमति को कानूनी रूप से अनिवार्य किया जाए।

इस मांग को लेकर संगठन 21 दिसंबर को एक बड़ा प्रदर्शन करने जा रहा है। करणी सेना ने इसे ‘जनक्रांति न्याय आंदोलन’ का नाम दिया है। संगठन का कहना है कि वे अपनी 21 सूत्रीय मांगों को लेकर सड़कों पर उतरेंगे।

इन मांगों में प्रेम विवाह के नियमों में बदलाव के अलावा आर्थिक आधार पर आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन जैसी प्रमुख बातें शामिल हैं।

हरदा में होगा आंदोलन, 5 महीने पहले हुआ था लाठीचार्ज

खास बात यह है कि यह आंदोलन हरदा जिले में आयोजित किया जा रहा है। यह वही जगह है जहां करीब पांच महीने पहले पुलिस और करणी सेना के बीच टकराव हुआ था। उस समय पुलिस ने करणी सेना के पदाधिकारियों पर लाठीचार्ज किया था और कई गिरफ्तारियां भी हुई थीं।

पुरानी घटना का संदर्भ देते हुए बताया गया है कि वह विवाद एक पदाधिकारी के साथ हुई हीरे की धोखाधड़ी से जुड़ा था। उस मामले में प्रदर्शन करने पहुंचे करणी सेना प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर को पुलिस ने हिरासत में लिया था। अब संगठन उसी जमीन से अपनी नई मांगों को लेकर हुंकार भरने जा रहा है।

लव मैरिज पर क्या है करणी सेना का तर्क?

करणी सेना प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर का मानना है कि प्रेम विवाह के लिए अभिभावकों की रजामंदी जरूरी होनी चाहिए। उनका तर्क है कि इससे लव जिहाद, दंगे और सामाजिक तनाव जैसी घटनाओं पर रोक लगेगी।

“जब कोई हिन्दू लड़का, मुस्लिम लड़की को लेकर जाता है या मुस्लिम लड़का, हिन्दू लड़की से शादी करता है, तो दंगे होते हैं। इसे अक्सर ‘लव जिहाद’ का नाम दिया जाता है। असल में यह लव मैरिज है, लेकिन इसके बाद जो हालात बनते हैं, वे समाज को तोड़ने का काम करते हैं।” — जीवन सिंह शेरपुर, प्रमुख, करणी सेना

शेरपुर के अनुसार, यदि कानून में माता-पिता की सहमति का प्रावधान जोड़ दिया जाए, तो इसके तीन बड़े फायदे होंगे:

  • युवक-युवतियां घर से भागकर शादी नहीं करेंगे, जिससे पारिवारिक कलह रुकेगी।

  • जातीय और धार्मिक संघर्षों में कमी आएगी।

  • समाज में शांति व्यवस्था बनी रहेगी।

जब उनसे पूछा गया कि क्या यह बालिग नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं है? तो उन्होंने कहा कि जैसे माता-पिता की संपत्ति पर बच्चों का हक होता है, वैसे ही बच्चों के जीवन के फैसलों पर माता-पिता का भी अधिकार होना चाहिए।

गुजरात और हरियाणा में भी उठ चुकी है आवाज

यह पहली बार नहीं है जब किसी संगठन ने ऐसी मांग रखी हो। दो साल पहले गुजरात के पाटीदार समाज ने भी मेहसाणा में हुए एक सम्मेलन में यही मुद्दा उठाया था। उस वक्त गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने आश्वासन दिया था कि सरकार संवैधानिक सीमाओं के भीतर इस पर विचार करेगी।

वहीं, हरियाणा में भी इस मुद्दे की गूंज सुनाई दी थी। सफीदों सीट से भाजपा विधायक रामकुमार गौतम ने विधानसभा के मानसून सत्र में लव मैरिज के लिए अभिभावकों की मंजूरी को अनिवार्य करने की वकालत की थी। उनका तर्क था कि भागकर शादी करने वाले जोड़े अक्सर बाद में कलह का शिकार होते हैं और कई बार यह जानलेवा साबित होता है।

प्रमुख मांगें एक नजर में

21 दिसंबर को होने वाले आंदोलन में करणी सेना की तीन सबसे अहम मांगें इस प्रकार हैं:

  1. लव मैरिज करने वाले जोड़ों के लिए माता-पिता की लिखित सहमति अनिवार्य हो।

  2. आरक्षण का आधार जातिगत न होकर आर्थिक हो।

  3. एट्रोसिटी एक्ट (SC/ST एक्ट) में बिना पुलिस जांच के सवर्णों के खिलाफ सीधे मामला दर्ज न किया जाए।