कटनी जिला कलेक्टर ने की कचरा बीनने वाली बच्ची की ख्वाहिश पूरी, जानिए क्या थी इच्छा|

सोशल मीडिया पर मासूम बच्ची चाहत का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसने वीडियो बनाया था उसने वीडियो बनाते समय पढ़ाई करने की इच्छा के बारे में पूछा था उस दौरान मासूम बच्ची चाहत ने अपनी इच्छा जाहिर करते हुए बताया कि वह पढ़ना चाहती है

पारिवारिक मजबूरियों के चलते कई बच्चे ऐसे है जो पड़ लिख नही पाते, लेकिन उनके दिल में भी बाकि बच्चो की तरह पड़ने लिखने की इच्छा होती है. एसा ही एक मामला सामने आया है सोशल मीडिया पर वायरल हुए विडियो में एक कचरा बीनने वाली पांच वर्षीय मासूम बच्ची चाहत की स्कूल में पड़ने की ख्वाहिश कटनी जिला के कलेक्टर अवि प्रसाद ने पूरी की. कलेक्टर अवि प्रसाद को जब चाहत की इच्छा के बारे में पता चला तो उन्होंने बिना देर किये महज दो घंटे के भीतर ही सर्वे करवा कर चाहत और उसके साथ अन्य दो बालिकाओं का स्कूल में एडमिशन कराया।

खबर यह है कि सोशल मीडिया पर मासूम बच्ची चाहत का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसने वीडियो बनाया था उसने वीडियो बनाते समय पढ़ाई करने की इच्छा के बारे में पूछा था उस दौरान मासूम बच्ची चाहत ने अपनी इच्छा जाहिर करते हुए बताया कि वह पढ़ना चाहती है। जो वीडियो वायरल हुआ था वह कटनी जिले के ढीमरखेड़ा इलाके का बताया जा रहा है।

जिला कलेक्टर रवि प्रसाद ने वीडियो को संज्ञान में लेते हुए जांच के निर्देश दिए वहीं उन्होंने कहा कि इस तरह के कितने बच्चे हैं उनका भी पता लगाया जाए। निर्देश के मिलते ही विभाग के सर्वे टीम ने सर्वे किया सर्वे पर मिली रिपोर्ट के अनुसार तीन बच्चों का स्थानीय शासकीय स्कूल में पहली कक्षा में दाखिला करवाया गया है। ‌

इस पूरे मामले में कटनी जिला कलेक्टर अवि प्रसाद का कहना है कि यह पूरा मामला ढीमरखेड़ा क्षेत्र का है जहां पर एक मासूम 5 साल की बच्ची कचरे के ढेर में खड़ी दिखाई दे रही थी, उसने वीडियो में पढ़ाई की इच्छा जाहिर की जिस पर मेरे द्वारा मामले को संज्ञान में लेकर जांच के निर्देश दिए गए थे। निर्देश देने के बाद मौके पर गई टीम ने बच्ची चाहत के साथ कमला और चांदनी में मिली जिनका स्कूल में एडमिशन कराया गया। ‌तीनों बच्चों की उम्र फिलहाल 5 वर्ष की बताई जा रही है। ‌

वही बस स्टैंड और स्टेशन पर इस तरह के बहुत से बच्चों के घूमने के बाद जब जिला कलेक्टर से पछा गए तो उन्होंने कहा कि प्रदेश शासन की मंशा के अनुरूप शिक्षा के अधिकार के तहत हर वर्ष सरकारी स्कूलों में बनाए जा रहे हैं प्रवेशोत्सव को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए शिक्षा विभाग के अमले को जमीनी स्तर पर और अधिक प्रयास करने के निर्देश दिए गए हैं ।