बंकिम सेन पश्चिम निमाड़ के एक छोटे से गांव बडगांव में अपनी हेयर सैलून दुकान के संचालन से जैसे-तैसे अपने और परिवार का लालन पालन करते है। सीमित आजीविका संसाधनों के बीच परिवार हंसी खुशी चल रहा था कि वर्ष 2021 में एक दिन अचानक से उनके 11 वर्षीय छोटे बेटे कौशिक को बुखार आया। अस्पताल में भर्ती करने पर मालूम हुआ बच्चे को डेंगू हुआ है और उसके प्लेटलेट्स कम हो गए है। इलाज से ठीक होने के बाद फिर एक माह बाद बुखार आ गया और जांच में सीबीसी कम होकर 4 ग्राम खून होने की बात मालूम हुई। परिवार ने 2 यूनिट रक्त की व्यवस्था की। कुछ दिन ठीक रहने के बाद करीब 8 से 10 दिन बाद ही फिर 2 यूनिट रक्त चढाए जाने की स्थिति बन गई। बीमारियों ने जैसे कौशिक को अपने आगोश में लेना शुरू कर दिया। स्थानीय चिकित्सकों ने इंदौर में किसी विशेषज्ञ को बताने की सलाह दी। यहां जांच कराने पर मालूम हुआ कौशिक को ल्युकेमिआ नामक कैंसर है। 23 सितंबर 2022 का वह दिन कौशिक के परिवार पर मानों दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। माता-पिता और अन्य परिजनों का कौशिक की बिमारी की जानकारी सुन, बुरा हाल हो गया। नन्हें से कौशिक को यह हो जाएगा किसी ने सोचा भी नहीं था। निजी चिकित्सकों द्वारा इलाज का खर्च करीब 30 से 35 लाख रूपये बताया। एक तो बेटे की बिमारी और उस पर गरीब परिस्थिति में इलाज का भारी भरकम खर्च, यह सुन सबके होश उड़ गए। इलाज़ के लिए कौशिक को एमवाय हॉस्पीटल इंदौर में करीब 5 माह भर्ती रख गया। यहाँ किमोथैरेपी से उसका इलाज़ भी किया गया लेकिन उसके स्वास्थ्य में कोई फर्क नहीं हुआ। इसी दौरान कौशिक का अपेंडिक्स भी फट गया था। किमोथेरेपी से ठीक नहीं होने पर चिकित्सकों ने उसका इलाज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल इंदौर में कराने की सलाह दी। कौशिक के माता-पिता ने तत्काल वहाँ संपर्क किया। यहां चिकित्सकों की टीम ने कौशिक की जांच आदि करते हुए बोन मैरो ट्रांसप्लांट से इलाज की जानकारी दी। परिवार को तसल्ली, हिम्मत और विश्वास दिलाया। यह सुन कौशिक के माता पिता को कुछ राहत महसूस हुई।
सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने कौशिक का इलाज शुरू किया। कौशिक के 13 वर्षीय बडे भाई कृष्णकांत ने बोर्न मैरो डोनेट किया। चिकित्सकों की टीम ने इलाज के लिए आवश्यक खर्च हेतु पीएम केयर, मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान निधि, आयुष्मान भारत योजना सहित अन्य दानदाताओं (सीएसआर मद) से संपर्क कर आवश्यक इलाज संबंधित खर्च की व्यवस्था की। सभी ने मुक्त हस्त से कौशिक के जीवन को बचाने के लिए आर्थिक सहयोग किया। आज कौशिक पूरी तरह से स्वस्थ होकर स्कूल जाता है।
कौशिक के पिता श्री बंकिम सेन कहते है भगवान के साक्षात दर्शन हमने धरती पर डॉक्टर के रूप में किये है। मेरे बेटे को नया जीवन सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल इंदौर के चिकित्सकों और स्टाफ ने दिया है। हम तो हिम्मत हार चुके थे। उन्होंने ही हमें हिम्मत के साथ-साथ इलाज हेतु लगने वाले इतनी अधिक राशि की व्यवस्था की। हमने भी करीब एक वर्ष चिकित्सकों के बताए अनुसार ध्यान रखा। हमारे परिवार में खुशियां वापस लौट आई है। सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की चिकित्सक डॉ. प्राची चौधरी ने बताया बोन मैरो ट्रांसप्लांट से कैंसर एवं रक्त जनित बीमारियों का सफल इलाज संभव है। इसके लिए विशेष सावधानियां रखनी होती है। इन्दौर स्थित सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में कौशिक सहित कई बच्चों का सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया है।