हिंदू संस्कृति में प्रतिदिन पूजा करना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन में शांति, सकारात्मकता और सद्भाव लाने का माध्यम माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि नियमित पूजा करने से मन निर्मल होता है और व्यक्ति अच्छे कर्मों की ओर अग्रसर होता है।
भगवान की कृपा से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। लेकिन पूजा करना जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही ज़रूरी है पूजा के दौरान की गई छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना। कई बार लोग अनजाने में ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिससे पूजा का पूरा फल नहीं मिलता। इन्हीं में से एक है, पूजा की राख का गलत निस्तारण।
पूजा की सामग्री का सम्मानपूर्वक निस्तारण आवश्यक
पूजा के बाद बची हुई सामग्री—जैसे दीपक की बत्ती, धूप-अगरबत्ती की राख, हवन की अवशेष सामग्री—को पवित्र माना जाता है। इसे सामान्य कचरे की तरह फेंकना शास्त्रों में अनुचित बताया गया है। माना जाता है कि ऐसा करने से पूजा अधूरी रह जाती है और भगवान की कृपा में बाधा आने लगती है। इसलिए पूजा समाप्त होने के बाद सामग्री का सही तरीके से निस्तारण करना आवश्यक होता है।
पूजा की राख को लेकर अक्सर लोग करते हैं ये गलतियां
पूजा के बाद कई लोग दीपक या धूपबत्ती की राख को बेकार समझकर सीधे कूड़ेदान में फेंक देते हैं। यह व्यवहार धार्मिक दृष्टि से ठीक नहीं माना जाता। मान्यता है कि ऐसा करने से घर की सकारात्मक ऊर्जा कम होती है और दुर्भाग्य बढ़ सकता है।
इसी तरह, कुछ लोग पूजा की राख को मंदिर की चौखट या भगवान की मूर्ति के पास ही पड़े रहने देते हैं। शास्त्रों के अनुसार यह भी एक बड़ी गलती है। मंदिर में गंदगी या अवशेषों का जमा रहना नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है और घर में अशांति का कारण बन सकता है। इसलिए पूजा के बाद मंदिर को तुरंत साफ कर देना चाहिए।
पूजा की राख का सही उपयोग और निस्तारण कैसे करें?
पूजा के बाद बची राख को सम्मानपूर्वक एकत्र करके सुरक्षित जगह पर रखना चाहिए। सप्ताह या महीने में एक बार इस राख को बहते जल में प्रवाहित कर देना शुभ माना जाता है। इसके अलावा एक साफ कपड़े में बांधकर किसी शांत, पवित्र स्थान में जमीन में दबाया जा सकता है।
अगर आप प्रकृति से जुड़ाव रखते हैं, तो पूजा की राख को बगीचे की मिट्टी में मिलाना भी उत्तम विकल्प है। यह मिट्टी को पोषक भी बनाती है और धार्मिक रूप से भी शुभ माना जाता है।