Kharmas 2025: 14 मार्च से शुरू हो रहा है खरमास, एक महीने के लिए भूल कर भी न करें ये काम, होगा बुरा प्रभाव

Kharmas 2025: 14 मार्च को सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करते ही खरमास (Kharmas) की शुरुआत हो जाएगी। ज्योतिष शास्त्र में इसे मलमास भी कहा जाता है। खरमास की अवधि को शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है, इसलिए इसके शुरू होते ही विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्यों पर 30 दिनों के लिए रोक लग जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस समय देवताओं की दिनचर्या में बदलाव आता है, इसलिए शुभ कार्यों को टालना उचित माना जाता है।

आपको बता दें कि जब सूर्य धनु और मीन राशि में प्रवेश करता है, तब खरमास लगता है। यह अवधि साल में दो बार आती है—पहली बार दिसंबर-जनवरी में जब सूर्य धनु राशि में होता है और दूसरी बार मार्च-अप्रैल में जब सूर्य मीन राशि में पहुंचता है। ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार, इस दौरान सूर्य और देवगुरु बृहस्पति की ऊर्जा कमजोर हो जाती है, जिस कारण इस एक महीने को शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है।

खरमास में क्या नहीं करना चाहिए

खरमास की अवधि में मुंडन, गृह प्रवेश, सगाई, विवाह और अन्य शुभ व मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। इस समय को धार्मिक साधना, दान-पुण्य और आत्मचिंतन के लिए उपयुक्त माना जाता है, लेकिन नए कार्यों की शुरुआत से बचना चाहिए।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्य हर महीने एक राशि बदलते हैं, और इसी आधार पर वर्षभर में कुल 12 संक्रांतियां होती हैं। जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है, तो इसे धनु संक्रांति कहा जाता है, जो साल का पहला खरमास (मलमास) होता है। वहीं, जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करता है, तो उसे मीन संक्रांति कहा जाता है, और यह साल का दूसरा खरमास होता है।

खरमास किसे कहते हैं?

हिन्दू पंचांग के अनुसार, जब सूर्य धनु और मीन राशि में रहते हैं, तब उस अवधि को खरमास या मलमास कहा जाता है। इस समय में सूर्य की गति धीमी मानी जाती है और इसकी ऊर्जा में कमजोरी आ जाती है। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, इस अवधि में शुभ कार्य जैसे विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, नामकरण आदि वर्जित होते हैं। धनु और मीन संक्रांति के बीच का जो समय होता है, वही खरमास कहलाता है, जिसे धार्मिक दृष्टि से साधना, पूजा-पाठ और दान-पुण्य के लिए विशेष माना गया है।