खरमास के बाद शुभ मुहूर्त में होगी Ram Darbar की प्राण-प्रतिष्ठा

स्वतंत्र समय, अयोध्या

राम मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार ( Ram Darbar ) की स्थापना खरमास समाप्ति के बाद किसी भी निर्धारित शुभ मुहूर्त में कर दी जाएगी। राम दरबार की प्राण-प्रतिष्ठा का कार्य शेष अन्य मंदिरों की मूर्तियों की प्रतिष्ठा से अलग किया जाएगा। इसके साथ ही राम दरबार का दर्शन आम श्रद्धालुओं को होगा लेकिन रामलला का दर्शन पाने वाले सभी दर्शनार्थियों के लिए यह सुलभ नहीं होगा। यहां दर्शन के लिए श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से श्रृंगार या शयन आरती की तरह ही निर्धारित संख्या में पास जारी किया जाएगा।

एक दिन में लाखों श्रद्धालु नहीं कर सकते Ram Darbar में दर्शन

भवन-निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र का कहना है कि रामलला का दर्शन एक दिन में लाखों श्रद्धालु कर रहे हैं लेकिन इतनी बड़ी संख्या में सबको राम दरबार ( Ram Darbar ) का दर्शन करा पाना संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में आरती पास की तरह एक घंटे में 50 दर्शनार्थियों को दर्शन के लिए भेजा जा सकता है। इस तरह पूरे दिन में सात आठ सौ दर्शनार्थी दर्शन कर सकेंगे। यह भी बताया गया कि राम दरबार सहित सभी मंदिरों के मूर्तियों के साथ उनके आभूषण एवं परिधान सब तैयार हो गये है। बताया गया कि 14 अप्रैल को खरमास समाप्ति के बाद इन्हें परिसर में ले आया जाएगा और यथास्थान पर मूर्तियों को स्थापित किया जाएगा। इसके उपरांत अनुष्ठान पूर्वक उनकी प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। उधर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के न्यासी डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि राम मंदिर के परकोटे के सभी छह मंदिरों के शिखर का निर्माण 85 प्रतिशत से लेकर 98 प्रतिशत तक पूरा हो गया है। उन्होंने बताया कि राम मंदिर और परकोटा के मध्य में चारों ओर 25-25 मीटर का कोर्ट यार्ड आरक्षित हैं। उन्होंने बताया कि इस हिस्से में पत्थरों व मलबे की सफाई का काम शुरू हो गया है। पूरे क्षेत्र की सफाई के बाद यहां यहां हरियाली विकसित की जाएगी और आवागमन के लिए पाथ-वे का भी निर्माण कराया जाएगा।

सूर्य तिलक की व्यवस्था 20 वर्षों तक स्थायी होगी

भवन-निर्माण समिति चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र के अनुसार राम नवमी पर रामलला के प्राकट्य के क्षणों में उनके मस्तक पर सूर्य तिलक की व्यवस्था अब बीस वर्षों तक के लिए स्थायी हो जाएगी। उन्होंने बताया कि राम मंदिर के शिखर का निर्माण इस व्यवस्था के लिए आवश्यक ऊंचाई प्राप्त कर चुका है। कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के जरिए 20 साल तक सूर्य की गति के मुताबिक राम नवमी की तिथि पर मध्याहन ठीक 12 बजे सूर्य किरणों को परावर्तित कर मंदिर के अंदर भेजकर रामलला के मस्तक पर उनका अभिषेक कराया जाएगा। बताया गया कि प्रत्येक 20 वर्ष में सूर्य की गति में परिवर्तन होता है। इसके कारण सीबीआरआई के वैज्ञानिकों ने ऐसी व्यवस्था निर्धारित की है सम्बन्धित उपकरणों की दिशा निर्धारित कोण पर मैनुअली परिवर्तित की जा सके और पुन: कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के जरिए अगले 20 सालों तक सूर्य अभिषेक यथावत संभव हो सके।