जानिए ऐसे नेताजी के बारे में, जिन्होंने अंग्रजो की नौकरी ठुकरा कर, अपनी फौज खड़ी कर फिरंगियों को दी चुनौती

पराक्रम दिवस पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक विशेष रिपोर्ट

सिविल सर्विस को ठुकराकर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने और भारत को अंग्रजो के चंगुल से बचाने वाले नेताजी के नाम से विख्यात भारत के महान सवतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज जयंती है। नेताजी ने अपनी पढ़ाई के बाद साल 1920 में सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर ली थी, भारत देश को अंग्रजो से बचाने के लिए उन्होंने अपनी जॉब छोड़ दी और भारत आगए। भारत सरकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाती है। आइए जानते है नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में ।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिसा, बंगाल डिवीजन के कटक में हुआ था। इनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस था और माता का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोस कटक के प्रसिद्ध वकील थे। जानकीनाथ और प्रभावती बोस की 14 संताने थी। जिसमे से सुभाष चंद्र बोस उनकी 9वीं संतान थी। सुभाष चंद्र बोस की प्राथमिक शिक्षा कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट विद्यालय में हुई थी। इसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई कोलकाता के प्रेजिडेंसी और सोकॉर्टिश चर्च कॉलेज से की। इसके बाद सुभाष चंद्र बोस के माता-पिता ने उन्हे सिविल सर्विस की तैयारी के लिए इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय भेज दिया।

ग्रेजुएशन के बाद सुभाष चंद्र बोस ने आईसीएस का एग्जाम दिया। 1920 में बोस ने आईसीएस की वरीयता सूची में चौथा स्थान प्राप्त किया, स्वंतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए उन्होंने अपनी जॉब छोड़ दी और भारत देश को अंग्रजो के चंगुल से बचने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए। कांग्रेस में जहां गाँधी जी उदार दाल का नेतृत्व करते थे तो वही नेताजी जोशीले क्रांतिकारियों के प्रिय थे। नेताजी सुभाष चंद्र ने 1937 में अपनी सेक्रेटी एम्ली से शादी कर ली।

भारत से अंग्रजो को भागने के लिए नेताजी ने 21 अक्टूबर 1943 को “आजाद हिन्द सरकर” की स्थपना करते हुए “आजाद हिन्द फौज का गठन” किया। 1921 से लेकर 1941 के बिच वह कई बार जेल भी गए। दूसरे युद्ध के दौरान उन्होंने कई देशो से अंग्रजो के खिलाफ सहयोग माँगा। 18 अगस्त 1945 में ताइपेई में हुई विमान घटना के बाद नेताजी लापता हो गए। कुछ लोगो का मानना था की वह जीवित है और कुछ लोगो को मनना था की विमान घटना के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।

भारत के महान सवतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की जयंती, 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है । इस साल नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126 वीं जयंती है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था। यह दिन नेताजी के अदम्य भावना और राष्ट्र के प्रति निस्वार्थ सेवा को सम्मानित करने और याद करने के लिए मनाया जाता है। नेताजी ने जिस अंदाज और बहादुरी के साथ अंग्रजो के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, उसे आज भी हर भारतीय याद करता है। नेताजी ने देश के युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। नेताजी भारत माता के सच्चे और बहादुर पुत्र थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कहे हुए “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दुंगा” और “जय हिंद” जैसे नारे आज भी भारतीय युवाओं के दिलो को देशभक्ति के जोश से भर देते है और यही वजह है की भारत सरकार ने उनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस के नाम से घोषित कर दिया।

कैसे मनाया जाता है पराक्रम दिवस –

इस दिन विद्यालयों में बच्चों द्वारा नाटक का आयोजन किया जाता है, वह साथ ही में कई कॉलेज में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जिवन पर आधारति लेक्चर का आयोजन किया जाता है, जिसमे कॉलेज में पड़ने वाले सभी छात्र-छात्राएं अपना मत प्रकट करते है। यही नहीं इस दिन नेताजी सुभष चंद्र बोस के चाहने वाले मीटिंग का आयोजन करते है, जिसमे नेताजी द्वारा देश के लिए किये गए कार्यों के बारे में बात करते है और उनकी जिंदगी से प्रेरणा लेते है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन से प्रेरित होकर हमारे देश के युवाओं को नेताजी के विचारो को अपने जीवन पूण रूप से अपनाना चाहिए।