लेखक
निलय श्रीवास्तव
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही लाड़ली बहना योजना ( ladali bahana yojana ) का आज पूरे देश में डंका बज रहा है। प्रखर चिंतक स्वामी विवेकानंद कहते थे कि जहाँ बेटियों की शिक्षा पूरी होती है, वहाँ का समाज विकसित होता है। जहाँ महिलाओं का सम्मान होता है, वहाँ देवता वास करते हैं। विवेकानंद जी हमेशा ही नारी को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की पहल करते और कहते थे कि महिला को सामाजिक और आर्थिक रूप से इतना सहारा दिया जाये जिससे वह स्वयं के जीवन का निर्माण कर सके। विवेकानंद का यह प्रयास आगे चलकर महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ। विशेषत: मध्यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण पर चिंतन मनन किया गया।
ladali bahana yojana महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम
अब मध्यप्रदेश अनुमानत: देश का पहला ऐसा राज्य बन चुका है जहाँ बेटियों के सर्वांगीण विकास के लिए विभिन्न योजनाओं के साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ा जा रहा है। प्रसंगवश बता दें कि लाड़ली बहना योजना ( ladali bahana yojana ) की सफलता इस बात से प्रमाणित होती है कि उसका अनुसरण दूसरे राज्य भी कर रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार ने इसे प्रमुखता से अपनाया है। कुछ अन्य राज्य भी इस योजना को अपनाने पर गहन विचार कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में पहले इस योजना को बतौर प्रयोग के रुप में लागू किया गया था लेकिन महज डेढ़ साल से भी कम समय में इसे मिली अपार लोकप्रियता, सराहना तथा विश्वास ने चमत्कार सा कर दिखाया और उन लोगों को सीधा जवाब मिल गया जो इसके लागू होने के आरम्भ में कुशंका पैदा कर रहे थे। योजना के अंतर्गत वितरित की जा रही राशि समय पर जरुरतमंद महिलाओं के खातों में पहुँचती है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव स्वयं इसके क्रियान्वयन पर निगरानी रखकर मानिटरिंग करते हैं । यही वजह है कि लाड़ली बहना योजना सफलता अर्जित कर प्रदेश के लोगों का विश्वास जीत चुकी है। मुख्यमंत्री इस योजना की सफलता और परिणाम को लेकर चिंतित रहते हैं। उनकी चिंता उनके वक्तव्यों में स्पष्ट रूप से झलकती भी है। कह सकतें हैं कि इस योजना ने प्रदेश की महिलाओं के जीवन में आशा और विश्वास के प्रकाश की किरणें बिखेरी हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के शब्दों में‘‘लाड़ली बहना योजना हमारे सनातन धर्म की उस भावना की प्रतीक है, जिसमें हम मातृ शक्ति की सम्मान देते हैं। माता बहनों को दिया गया पैसा कभी व्यर्थ नहीं जाता। ‘‘यह मध्यप्रदेश का सौभाग्य है कि सरकार महिला सशक्तिकरण, बालिका प्रोत्साहन तथा सुरक्षा पर अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक व्यय कर रही है। प्रदेश की महिलाओं की समृद्धि, उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर रोजगार से जोडऩे के लिये सारे जतन किये जा रहे हैं। प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव स्वयं इस दिशा में प्रयासरत रहते हैं। वे समय-समय पर काम की समीक्षा कर आवश्यक धन राशि जुटाने के लिये प्रयत्नशील रहते हैं। बेटियों के स्वावलम्बन में वे कोई कमी नहीं आने देना चाहते। सभी जानते हैं कि हर माह मध्यप्रदेश की 1.29 करोड़ लाड़ली बहनों के खातों में 1573 करोड़ रूपयों की राशि का अंतरण किया जाता है। यह सिलसिला पिछले लगभग डेढ़ साल से निरंतर चल रहा है। लाड़ली बहना योजना से पूवग् लाड़ली लक्ष्मी, कन्यादान तथा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजनायें महिला सशक्तिकरण की दिशा में कारगर साबित हुई हैं। इन योजनाओं के सफल क्रियान्वयन सेे सुखद परिणाम निकले और महिलाओं की आर्थिक, सामाजिक स्थिति में तेजी से बदलाव देखे गये। सामाजिक विषयों पर पैनी नजर रखने वालों का स्पष्ट मानना है कि मध्यप्रदेश में पिछले कुछ वर्षों को देखा जाये तो महिलाओं के जीवन में व्यापक स्तर पर बदलाव आये हैं, जागरुकता भी बढ़ी है। यहाँ बता दें कि किसी भी प्रदेश का विकास महिलाओं की समृद्धि के बिना अधूरा है। महिलाओं के आत्मनिर्भर होने से ही प्रदेश की तरक्की सुनिश्चित मानी जाती है।मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव धर्म आध्यात्म में गहन आस्था रखने के साथ-साथ अपने प्रदेश के लोगों से बेहद लगाव रखते हैं। उनके अल्प समय के कार्यकाल में प्रदेश में अनेक दुर्लभ और असम्भव काम हुए हैं। उनके ही प्रयासों का सफल परिणाम है कि मध्यप्रदेश में महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना निधाज़्रित किया गया है। पूर्व में आरक्षण 33 प्रतिशत था। इससे प्रदेश भर की महिलायें लाभांवित होंगीं। महिलाओं को सरकारी नौकरी में 35 प्रतिशत आरक्षण देकर मध्यप्रदेश देश के अन्य राज्यों के लिये नजीर बन गया है। आरक्षण से उन बेटियों को भी लाभ मिलेगा जो स्वयं के संसाधनों से पढ़ायी- लिखायी कर रोजगार के लिए संघषज़् करती हैं। इसके सूत्रधार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव हैं। यहाँ स्पष्ट कर दें कि अब समय आ गया है जब सरकार के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाना होगी। जनसहभागिता की भी दरकार है। क्योंकि बिना जन सहयोग के किसी भी काम के सुखद परिणाम मिलना मुश्किल है। वहीं सामाजिक संस्थाओं को भी प्रदेश के विकास में सहभागी बनते हुए संचार संसाधनों के माध्यम से लोगों को जागरुक करना होगा। ध्यान रहे कि हमारे प्रदेश की आबादी का एक तिहाई हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है। वहाँ की महिलाओं तथा बेटियों को उनके अधिकारों के प्रति सचेत करना नितांत आवश्यक है। ग्रामीण क्षेत्रों की बालिकायें परिश्रमी और प्रतिभाशाली होती हैं। उन्हें प्रोत्साहन के साथ अवसर मिले तो वह अपने पैरों पर खड़ी होकर स्वावलम्बी बन सकती हैं। सरकारी नौकरियों में उनको भी भरपूर लाभ मिलना चाहिये। याद रहे प्रदेश सबका है, सबके हित सवोज़्परि हंै। सबका साथ,सबका विकास की थीम पर हमको आगे बढऩा होगा। तभी हम स्वणिज़्म मध्यप्रदेश की अवधारणा को पूरा कर सकेंगें।