जमीन हड़पो अभियान चलाता है Housing Board


राजेश राठौर
EXCLUSIVE

स्वतंत्र समय, इंदौर

कई सालों तक स्कीम डालकर जमीन हड़पने का काम मध्यप्रदेश हाउसिंग  बोर्ड ( Housing Board  ) भी करता है। बायपास पर लगभग ढाई सौ एकड़ जमीन पर हाउसिंग बोर्ड कुंडली मारकर बैठा हुआ है। पालाखेड़ी और अन्य जगह भी यही हालत है। इन जमीनों पर यदि जमीन मालिक कालोनी काट देते तो आम लोगों को प्लाट मिल सकते थे। अब वहां पर दूसरी गतिविधियां हो रही हैं।

Housing Board की जमीन का मामला 20 साल से पेंडिंग

बायपास पर ‘स्कीम 134’ से लगी हुई जमीनों पर हाउसिंग बोर्ड ( Housing Board  ) की स्कीम डाल रखी है, जिस पर मैरिज गार्डन फिलहाल चल रहे हैं। ये जमीन हाउसिंग बोर्ड ने लगभग 20 साल पहले अधिग्रहित की थी, उसके बाद से मामला पेंडिंग में है। फि़लहाल केस कोर्ट में चल रहा है। इसी तरह से पालाखेड़ी और अन्य जगह भी प्राधिकरण ने रोक रखी है। हाउसिंग बोर्ड जैसी एजेंसी भी इंदौर विकास प्राधिकरण की तर्ज़ पर जमीनें रोककर बैठ जाती हैं, निर्धारित समय पर हाउसिंग बोर्ड भी स्कीम लागू नहीं कर पाता है, इस कारण जमीन मालिकों को मौका मिल जाता है। उसी आधार पर जमीन मालिक कोर्ट चले जाते हैं।

Housing Board की जमीन का जल्द फैसला जरूरी

हाउसिंग बोर्ड की भी स्कीम डालने की जो प्रोसेस है, वो इतनी गलत है कि कोई ना कोई कानूनी कमजोरी पकडक़र जमीन मालिक कोर्ट का सहारा ले ही लेते हैं। शहर में हजारों एकड़ जमीन इंदौर विकास प्राधिकरण और हाउसिंग बोर्ड ने इसी तरह से अटका रखी हैं। यही कारण है कि बिना वज़ह शहर की जमीनों के भाव बढ़ जाते हैं। लोगों को मजबूरी में आकर प्राइवेट कालोनाइजरों के पास जाना पड़ता है, जिसमें आधे से ज्यादा प्राइवेट कालोनाइजर फर्ज़ी हैं, जो लोगों का प्लाट हड़पने के अलावा कुछ नहीं करते हैं। हाउसिंग बोर्ड ने जितनी भी जमीनें अधिग्रहित कर रखी हैं, उनके बारे में जल्दी फैसला करना चाहिए, ताकि आम आदमी को प्लाट मिल सके। प्राधिकरण की तरह हाउसिंग बोर्ड भी ‘चाहे जब चाहे जहां’ जमीन ‘हड़पने का अभियान’ चलाता है। इंदौर में सुपर कॉरिडोर के पास पालाखेड़ी में जो स्कीम हाउसिंग बोर्ड ने डाली थी उसका हश्र भी बुरा हुआ। वास्तव में हाउसिंग बोर्ड के पालाखेड़ी वाली स्कीम महू तरफ घोषित करना थी, लेकिन अफसरों ने मनमर्जी करके गल़त फैसला किया।