Land mafia : भेड़-बकरी की तरह खेतों में काट दी कालोनियां


राजेश राठौर
exclusive

स्वतंत्र समय, इंदौर

इंदौर शहर ही नहीं आसपास के गांव से लेकर देपालपुर, सांवेर और महू में भी भूमाफिया ( Land mafia ) ने बड़े-बड़े सपने दिखाकर, रंगीन फोल्डर बनाकर खेती की जमीनों पर कालोनियां काट दी। उदाहरण के लिए इंदौर में सौ कालोनियों की जरूरत थी, उसकी जगह 15 गुना ज्यादा 1500 जगह कालोनियां काट दी। जिसका नतीजा यह है कि प्रापर्टी का धंधा अब काबड़ का धंधा बन गया है, जो इसमें उलझा, वो उलझ कर ही रह गया। जिस तरीके से फुटपाथ पर सड़े पानी पताशे की दुकानें लगती हैं उसी तरह से आजकल इंदौर जिले में सुपर कारिडोर, बायपास, धार रोड, उज्जैन रोड, देवास रोड, खंडवा रोड से लेकर सभी रास्तों पर प्लाट बेचने के लिए टूटी कुर्सी-टेबल और फ्लैक्स लगाकर प्लाट बेचे जा रहे हैं। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जरूरत से कई गुना अधिक कालोनियां कटने से भी परेशानियां हुई हैं।

भूमाफिया ( Land mafia ) ने बेरोजगार दलालों को झांसे में लिया

कालोनाइजर या कहें भूमाफिया ( Land mafia ) ने कवर्ड कैंपस, सिक्युरिटी, गार्डन, कम्युनिटी हाल, क्लब हाउस, स्वीमिंग पुल, गेम्स जोन जैसी सुविधाओं वाले रंगीन फोल्डर बनाकर ड्रायवर छाप दलालों के हाथ में दे दिए। उस कारण नौसिखिए, अनपढ़ और c। कालोनाइजरों ने फार्म हाउस भी इस तरह से काटे कि कई कालोनियों में सरकारी जमीन के लफड़े भी हैं लेकिन आम आदमी तो कहीं देखने नहीं जाता कि इस कालोनी की अनुमति हुई है या नहीं। वो तो नटवरलाल प्रापर्टी दलाल के झांसे में आकर मूर्ख बनते गए। ऐसे में कालोनाइजरों का हौसला बढ़ता गया। इंदौर में जरूरत के मान से अधिक प्लाट, मकान, फ्लैट, दुकान और फार्म हाउस बनने के कारण जो प्रापर्टी में तेजी आई थी, वह लगातार कम होती जा रही है। अभी तो कई प्रापर्टी दलाल जो महीने के 25-50 हजार रुपए कमा लेते थे वो अब दूसरा काम-धंधा ढूंढ रहे हैं। प्रापर्टी के दलाल कहने लगे हैं कि हमको तो कालोनाइजरों ने मूर्ख बना दिया, अब प्लाट खरीदने वाले हमको ढूंढ रहे हैं, हम क्या करें। हमको तो कालोनाइजरों ने जैसा कहा था वैसा हमने ग्राहकों को बताया, अब कालोनाइजर धोखेबाज निकले तो हम क्या करें। प्रापर्टी दलाल हालांकि इतने सीधे नहीं हैं, उनको भी ये मालूम था कि अधिकांश कालोनाइजर फर्जी हैं, सबके सब ‘चांद पर प्लाट’ काटने जैसा काम कर रहे हैं, हम तो मजबूर थे क्योंकि हमें भी तो अपनी रोजी-रोटी चलाना है।

सोशल मीडिया पर छा गया ‘स्वतंत्र समय’

इंदौर भूमाफियाओं की असलियत सामने लाने वाली खबरें लगातार ‘दैनिक स्वतंत्र समय’ छाप रहा है। रोजाना सैकड़ों फोन आते हैं, लोग मैसेजे भी करते हैं, सबका यही कहना रहता है कि इन नटवरलाल कालोनाइजरों के खिलाफ लगातार स्वतंत्र समय छाप रहा है, उसके लिए साधुवाद का पात्र है। कोई भी मीडिया विज्ञापनों के चक्कर में इनके काले कारनामे सामने नहीं लाता है। हम अपने पाठकों को भरोसा दिलाते हैं कि हम लगातार कालोनाइजरों का पर्दाफाश करते रहेंगे। हम पाठकों से भी उम्मीद करते हैं कि वो हमें धोखेबाज कालोनाइजरों की जानकारी देते रहें ताकि हम सप्रमाण भी इनके खिलाफ खबरें प्रकाशित करते रहेंगे। इस अभियान को चलाने के पीछे हमारा उद्देश्य स्पष्ट है कि जो फर्जी और धोखेबाज कालोनाइजर हैं उनको हम एक्सपोज करके ही मानेंगे। हमारा पाठकों से आग्रह है कि यदि आप कोई संपत्ति खरीदना चाहते हैं तो दलाल के चक्कर में न आकर सीधे कालोनाइजर से मिलें, खुद अपने स्तर पर इस बात का पता करें कि जो कालोनाइजर कह रहा है वो काम उसने कालोनी में किए या नहीं। कालोनाइजर को पूरा पैसा तभी दें जब कालोनी का विकास पूरा हो जाए। जिस कालोनी, फार्म हाउस का विकास यदि पूरा नहीं हुआ है, वहां पर कोई प्लाट नहीं खरीदें। इंदौर में अच्छे कालोनाइजर भी हैं जो पहले डेवलपमेंट का काम पूरा करते हैं, उसके बाद प्लाट बेचना शुरू करते हैं। इंदौरी भूमाफिया नटवरलाल पूरे देश में चर्चा का विषय बने हुए हैं। ‘स्वतंत्र समय’ की खबरें सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग में हैं। हम जल्द ही उन अच्छे कालोनाइजरों की खबरें भी छापेंगे जिन्होंने ग्राहकों से जो वादे किए थे, वो पूरे भी किए हैं।