स्वतंत्र समय, इंदौर
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से एक वकील ( lawyer ) ने विद्युत वितरण कंपनी इंदौर से अपनी व्यवसायिक फीस दिलवाने की गुहार लगाई है। एडवोकेट आशीष जैन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि कंपनी ने उन्हें विद्युत चोरी और बकायादार उपभोक्ताओं को वैधानिक सूचना पत्र जारी करने के लिए अधिकृत किया था, लेकिन कंपनी ने अब तक उनकी फीस नहीं दी। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है, ताकि उनकी व्यवसायिक फीस का शीघ्र भुगतान हो सके। वकील ने बताया कि उन्होंने विद्युत कंपनी इंदौर के निर्देशन और आदेशानुसार कई उपभोक्ताओं को वैधानिक सूचना पत्र जारी किए थे। इन पत्रों के जरिए विद्युत चोरी और बकाया राशि वसूली की कार्रवाई की गई। वकील ने बताया कि इस कार्य के लिए बिजली कंपनी द्वारा 12 जून 2007 के परिपत्र में प्रति नोटिस 750 रुपये की फीस निर्धारित की गई थी।
lawyer की फीस का भुगतान अभी तक नहीं किया गया
एडवोकेट ( lawyer ) जैन ने सीएम को दिए पत्र में बिजली कंपनी से अनुबंध सहित कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों के साथ कंपनी के विभिन्न आदेशों और सतर्कता विभाग के निदेर्शों का हवाला दिया है। इनमें 2007 से 2013 तक विद्युत कंपनी इंदौर द्वारा उनके द्वारा भेजे गए नोटिसों की जानकारी शामिल है। वकील ने बताया कि सतर्कता विभाग द्वारा 4,44,481 नोटिस, देपालपुर संभाग द्वारा 92,920 नोटिस और मध्य शहर संभाग एवं संचालन व संधारण इंदौर द्वारा 50,343 सूचना पत्र जारी किए गए थे। उनका दावा है कि उनके द्वारा जारी किए गए 6,29,000 सूचना पत्रों के आधार पर उनकी व्यवसायिक बिल की राशि लगभग 55 करोड़ होती है, जिसका भुगतान विद्युत कंपनी से लंबित है। कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी उनके द्वारा जारी नोटिसों की सत्यता को स्वीकार किया है। इसके बावजूद उनकी फीस का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। एड़वोकेट जैन का दावा है कि उनके द्वारा जारी नोटिसों के आधार पर कंपनी ने करोड़ों रुपये की वसूली की। इसके बावजूद कंपनी के अधिकारी आपसी झगड़ों और राग द्वेष के चलते उनकी फीस का भुगतान नहीं कर रहे हैं। एडवोकेट जैन ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि उन्हें उनकी व्यवसायिक फीस का भुगतान करवाने के लिए उचित कार्रवाई की जाए। एडवोकेट जैन ने बताया कि विद्युत कंपनी यह तो स्वीकार करती है कि उसके पास वकील से भिजवाए गए वैधानिक सूचना पत्रों की प्रतियां उपलब्ध हैं। सतर्कता विभाग द्वारा 8 लाख और देपालपुर संभाग द्वारा 2.13 लाख रुपए जमा करने के पत्र जारी किए गए थे, जिनकी प्रतियां प्रस्तुत की गई हैं। पर कंपनी के चीफ इंजीनियर एस. आर. बमनके ने टेक्निकल डायरेक्टर एस. एल. करवाडिय़ा के सामने स्वीकार किया कि जैन द्वारा दिए गए सूचना पत्र विधि संकाय में उपलब्ध हैं। इस तथ्य को ओ. पी. गुप्ता और श्री वी. के. श्रीवास्तव (सीनियर अधीक्षण अभियंता) ने भी स्वीकार किया। इसके अतिरिक्त, वकील ने प्रिलिटिगेशन प्रकरण भी तैयार किए, जिसके बिल और सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर वकील ने विद्युत कंपनी इंदौर को व्यवसायिक बिल प्रस्तुत किए।
आरटीआई में हासिल किए दस्तावेज
एडवोकेट जैन के पास सभी दस्तावेज मौजूद हैं जो कि सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत हासिल किए गए हैं। एडवोकेट जैन का दावा है कि इन सभी दस्तावेजों से स्पष्ट होता है कि उनकी फीस का भुगतान लंबित है और उन्हें न्याय मिलना चाहिए। इन दस्तावेजों में-
- विद्युत कंपनी का 12 जून 2007 का परिपत्र जिसमें नोटिस की फीस 750 रुपये निर्धारित है।
- विद्युत कंपनी के आदेश (22 जुलाई 2011, 29 जुलाई 2011 और 15 सितंबर 2011) की प्रतियां।
- विद्युत चोरी के प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किए जाने के आदेश।
- सतर्कता विभाग और देपालपुर संभाग द्वारा जारी प्रमाण पत्र।
- सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त 2007 से 2013 तक की नोटिसों की जानकारी।
- इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में उपभोक्ताओं की सूची और अन्य संबंधित जानकारी।
- कंपनी द्वारा वकील के खिलाफ जारी किए गए पत्र और प्रिलिटिगेशन प्रकरणों की जानकारी।
- वकील द्वारा जारी दीवानी प्रकरण, शपथपत्र और जवाबदावा।