रासायनिक खाद की छुट्टी, खेत की आखिरी जुताई में डालें ये छत्तीसगढ़ी ‘जादुई’ खाद, धान की बंपर पैदावार देख आप भी चौंक जाएंगे!

छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए एक बेहद अच्छी खबर सामने आई है। अब धान की खेती करने वाले किसानों को महंगे रासायनिक खाद जैसे डीएपी (DAP) पर पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। राज्य के कृषि वैज्ञानिकों ने एक ऐसी जैविक तकनीक विकसित की है, जो ना सिर्फ फसल की पैदावार बढ़ाएगी, बल्कि खेती के खर्च को भी काफी हद तक कम कर देगी। यह तकनीक खासतौर पर उन किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद खेती में अच्छे नतीजे चाहते हैं।

जैविक अमृत से बढ़ेगा उत्पादन

रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से जुड़े ठाकुर बैरिस्टर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. दिनेश पांडे ने इस तकनीक को तैयार किया है। उन्होंने एक खास प्रकार का जैविक बैक्टीरिया विकसित किया है, जिसे पीएसबी (Phosphorus Solubilizing Bacteria) कहा जाता है। यह बैक्टीरिया मिट्टी में पहले से मौजूद फॉस्फेट को घुलनशील बना देता है, जिससे पौधों को जरूरी पोषण आसानी से मिल पाता है। इसका मतलब यह है कि अब किसानों को बाहर से फॉस्फेट आधारित खाद खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

मिट्टी की सेहत भी रहेगी ठीक

इस जैविक बैक्टीरिया का एक और बड़ा फायदा यह है कि यह मिट्टी की सेहत को नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि उसे और उपजाऊ बनाता है। रासायनिक खादों का लगातार उपयोग मिट्टी को बंजर बना देता है और उसमें उपयोगी जीवाणु खत्म हो जाते हैं। लेकिन पीएसबी बैक्टीरिया मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करता है। इससे न केवल वर्तमान की फसल अच्छी होती है, बल्कि भविष्य की खेती भी टिकाऊ बनती है।

किसानों की आय में होगा इजाफा

जैविक खेती को बढ़ावा देने और किसानों की आमदनी दोगुनी करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है। खेती में खर्च कम होगा और उत्पादन ज्यादा, तो जाहिर है कि इससे किसानों की कमाई बढ़ेगी। राज्य सरकार भी इस जैविक तकनीक को ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाने की योजना बना रही है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों में भी यह जैविक बैक्टीरिया किसानों की मददगार साबित होगा।