विपिन नीमा, इंदौर
लोकसभा चुनाव में मप्र में भाजपा के कांग्रेस को क्लीन स्वीप कर दिया है। यह चुनाव मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ( CM Mohan Yadav ) के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं था। उन्होंने पूरे चुनाव कैम्पनिंग के दौरान जमकर मेहनत की और प्रदेश की सभी 29 सीटें मोदी की झोली में डालकर राजनीति की सबसे बड़ी परीक्षा पास की। पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने डॉ. यादव के नेतृत्व में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा गया और वे 100 प्रतिशत कामयाब साबित हुए।
CM Mohan Yadav का स्ट्राईक रेट 100 परसेंट तथा पटवारी का जीरो
इसी प्रकार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी अपने चुनाव अभियान में बुरी तरह से फ्लाप रहे। वे अपनी पार्टी को एक सीट भी नहीं दिला पाए और तो और कांग्रेस के पास जो एक मात्र छिंदवाड़ा की सीट थी उसे भी नहीं बचा पाए। पीसीसी प्रमुख जीतू पटवारी के लिए सबसे शर्मनाक बात तो यह है कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस को नहीं जिता पाए। लोकसभा चुनाव के लिए राहुल गांधी ने ही पटवारी को कमान सौंपी थी, लेकिन वे इस पर खरे नहीं उतर पाए। इस तरह सीएम ( CM Mohan Yadav ) का स्ट्राईक रेट 100 परसेंट तथा पटवारी का स्ट्राइक रेट जीरो रहा।
- सीएम मोहन यादव का स्ट्राइक रेट 100 परसेंट रहा… ( 29 में 29 सीटें दिलवाई )
- सीएम विष्णु साय का स्ट्राइक रेट 91 प्रतिशत रहा….( 11में से 10 सीटें जितवायीं
- सीएम भजनलाल का स्ट्राइक रेट 56 प्रतिशत रहा… ( 25 में से 14 सीटों पर जितवाया)
- सीएम मोहन यादव का स्ट्राइक रेट 100 परसेंट रहा… ( 29 में 29 सीटें दिलवाई )
- सीएम विष्णु साय का स्ट्राइक रेट 91 प्रतिशत रहा….( 11में से 10 सीटें जितवायीं
- सीएम भजनलाल का स्ट्राइक रेट 56 प्रतिशत रहा… ( 25 में से 14 सीटों पर जितवाया)
- एक भी सीट नहीं जितवा पाए पीसीसी प्रमुख
- राहुल गांधी के विश्वास पर नहीं उतरे खरे
- अब राहुल की क्लास में देना पड़ेगा हर सीट का जवाब
लोकसभा चुनाव के बाद मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से मुख्यमंत्रियों का स्ट्राइक रेट
गत वर्ष मध्य प्रदेश , राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सरकार बनाई है। विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद पार्टी हाईकमान ने उक्त तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री के तौर पर नए चेहरे लाकर प्रयोग किया था। मप्र से डॉ. मोहन यादव , राजस्थान में भजनलाल शर्मा और छत्तीसगढ़ विष्णुदेव साय को अपने-अपने प्रदेश की कमान सौंपी। तीनों ही पहली बार सीएम बने और पहली बार ही उनका सामना सबसे महत्वपूर्ण लोकसभा चुनाव से हुआ। मप्र में तो भाजपा की सरकार थी। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की। तीनों मुख्यमंत्रियों ने 6 माह के दौरान राजनीति की बड़ी परीक्षा दी।
राहुल की क्लास में पटवारी को जवाब देना पड़ेगा
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने दिग्जियसिंह और कमलनाथ जैसे दिग्गज और अनुभवी नेताओं को नजर अंदाज करते हुए राहुल गांधी ने अपने समर्थक जीतू पटवारी पर भरोसा करते हुए उन्हें मप्र कांग्रेस कमेटी की कमान ही नहीं सौंपी बल्कि लोकसभा चुनाव की सम्पूर्ण जवाबदारी भी सौंपी थी। प्रदेश कांग्रेस के सारे बड़े नेताओं को पीछे धकेलते हुए पटवारी को पहली बार इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिली। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने खूब मेहनत की,लेकिन पार्टी अन्य दिग्गज नेताओं का जैसा सहयोग मिलना चाहिए था वैसा नहीं मिला जिसके कारण उन्हें चुनाव में चारों कोने चित्त होना पड़ा। शर्मनाक हार के बाद पटवारी ने अभी कोई बयान तो नहीं दिया, लेकिन आने वाले दिनों में दिल्ली में होने वाली पार्टी हाईकमान की बैठक में उन्हें हर सीट का जवाब देना पड़ेगा।