विपिन नीमा, इंदौर
इंदौर में लोकसभा ( Lok Sabha ) चुनाव में मतदान होने में अभी पूरे 43 दिन बचे हैं। भाजपा और कांग्रेस ने अपने अपने प्रत्याशी भी घोषित कर दिए हैं। मौजूदा सांसद 64 वर्षीय शंकर लालवानी और कांग्रेस के युवा प्रत्याशी 45 वर्षीय अक्षय बम दोनों के पास जनसम्पर्क के लिए पर्याप्त समय हैं। इस चुनाव में कांग्रेस को कुछ हासिल करने के लिए बम को धमाका करना पड़ेगा। जबकि राजनीति का लम्बा अनुभव रखने वाले लालवानी फिर इंदौर का लाल बनना
चाहते हैं। वे पिछली जीत से भी बड़ी जीत हासिल करने का सपना देख रहे हैं।अबकी बार इंदौर से बीजेपी ने जीत का लक्ष्य लगभग 8 लाख वोटों का रखा है।
अक्षय बम को समाज पर और लालवानी को संगठन पर भरोसा
भाजपा प्रत्याशी और मौजूदा सांसद शंकर लालवानी और पहली बार बड़ा चुनाव लड़ रहे अक्षय बम दोनों चुनावी तैयारी में जुट गए हैं, जहां दोनों ही अपनी-अपनी जीत के दांवे ठोंकते नजर आ रहे हैं। जहाँ तक जातिवाद का सवाल है तो अक्षय बम जैन समाज से और शंकर लालवानी सिंधी समाज से आते हैं। दोनों के समाज से मिले आंकड़े के मुताबिक इंदौर में जैन समाज की संख्या लगभग 2 से ढाई लाख है। बम को समाज का सहारा मिल सकता हैं, लेकिन मंजिल तक पहुँचाना आसान नहीं हैं। कांग्रेस के उम्मीदवार अक्षय कांति एक शिक्षाविद के रूप में जाने जाते हैं और उनका यह किसी भी प्रकार का पहला चुनाव होगा। वहीं दूसरी और सिंधी समाज की संख्या डेढ़ से पौने दो लाख है। लालवानी को इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि उनके साथ एक मजबूत संगठन और पिछली जीत का आंकड़ा बड़ा है। लालवानी राजनीति के खिलाडी होने के साथ वे इंजीनियर भी हैं। इंदौर के विकास में उनकी भूमिका अहम मानी जाती हैं । अब देखना यह है कि 13 में को होने वाले मतदान में कौन बाजी मारता है।
कांग्रेस ने दो चुनावों में दो नए प्रत्याशियों को दिए टिकट
गत वर्ष नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 से राजा मंधवानी को टिकट देकर सबको चौका दिया था। राजा मंधवानी वे प्रत्याशी थे, जिन्होंने न तो कोई चुनाव लड़ा था और नहीं सक्रिय राजनीति की थी। मालिनी गोड़ से चुनाव हारने के बाद राजा मंधवानी का नाम कांग्रेस के पटल पर दोबारा नहीं आया। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजा मंधवानी को क्या जिम्मेदारी दी, ये किसी को नहीं मालूम हैं। इसी प्रकार लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया है जिन्होंने भी कोई आज तक कोई चुनाव नहीं लड़ा और सक्रिय राजनीति की हों। हालांकि अक्षय बम विधानसभा चुनाव से ही चर्चा में आ गए थे, वे विधानसभा चार से टिकट के लिए प्रबल दावेदार थे, कांग्रेस ने सिंधी समाज को तबज्जो देते हुए राजा मंधवानी को मैदान उतार दिया था। इसी कारण लोकसभा चुनाव में अक्षय बम को टिकट मिल गया।
कमजोर कड़ी, न संजय हैं, न पंकज हैं, न विशाल हैं
कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम भले ही लोकसभा का टिकट मिल गया हो, लेकिन उनके लिए कौन काम करेगा यह एक बड़ा सवाल है। लोकसभा, विधानसभा और महापौर के चुनाव का अनुभव रखने वाले पंकज संघवी, पूर्व विधायक संजय शुक्ला और पूर्व विधायक विशाल पटेल तो पहले ही कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में शहर कांग्रेस के पास ऐसा कोई बड़ा नेता नहीं हैं जिससे की कोई फायदा मिल सके। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी कुछ हद तक किला लड़ा सकते थे, लेकिन उन पर इंदौरी नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की 29 सीटों की जिम्मेदारी है। इसलिए यह कहना मुश्किल है कि बम को जीतू पटवारी की मदद मिल सकती हैं। कांग्रेस के पास जनप्रतिनिधि के नाम पर गिने चुने पार्षद हैं। दिग्गज नेताओं की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पहले ही पार्टी में अपना विश्वास खो चुके हैं जबकि दिग्विजय सिंह खुद राजगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में अक्षय बम को एक बड़ी चुनौती के साथ चुनाव लडऩा पड़ेगा।
मजबूत कड़ी कैलाश, तुलसी और महापौर
इंदौर में भाजपा के लिए काम कएने वालों की कोई कमी नहीं हैं। मोदी के मिशन को पूरा करने के लिए लालवानी के साथ मुख्यमंत्री से लेकर पार्षद तक हैं.। इंदौर के सारे विधायक दो मंत्री, महापौर, पार्षद व अन्य पदाधिकारी शंकर को सहारा मिलेगा। पिछले चुनाव में 5 लाख 47 हजार वोटो से मिली जीत शंकर की सबसे बड़ी ताकत बनी हुई हैं, क्योंकि इतनी बड़ी लीड कवर करना किसी भी पार्टी के लिए आसान काम नहीं हैं। कुल मिलाकर शंकर मजबूत स्थिति दिख रहे हैं।