Indore News : भवन नक्शा घोटाले में दो IAS अफसरों पर शिकंजा, हर्षिका और दिव्यांक के खिलाफ लोकायुक्त में जांच शुरू

मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में एक बड़ा प्रशासनिक मामला सामने आया है, जहां लोकायुक्त ने नगर निगम की पूर्व आयुक्त हर्षिका सिंह और स्मार्ट सिटी परियोजना के CEO दिव्यांक सिंह के खिलाफ जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कार्रवाई पूर्व पार्षद दिलीप कौशल द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर की जा रही है, जिसमें गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

शिकायत के अनुसार, दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने स्मार्ट सिटी में संविदा पर कार्यरत एक सिविल इंजीनियर को नियमों को दरकिनार करते हुए नगर निगम में भवन अधिकारी जैसे नियमित और महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त कर दिया। खास बात यह है कि उक्त व्यक्ति इस पद के लिए आवश्यक योग्यता नहीं रखता था। इसके बावजूद उसे अनेक प्रशासनिक अधिकार देकर लाभ पहुंचाया गया।

डिजिटल हस्ताक्षरों से 250 से अधिक मानचित्रों को दी मंजूरी

इसी प्रकरण में सहायक यंत्री देवेश कोठारी को भी आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि उन्होंने संविदा सेवक होने की सच्चाई को छिपाते हुए, भवन अधिकारी की हैसियत से लगभग 250 नक्शों को अवैध रूप से डिजिटल हस्ताक्षर कर मंजूरी प्रदान की। यह कार्य न केवल नियमों के खिलाफ था, बल्कि इससे नगर निगम को आर्थिक और विधिक क्षति भी हुई।

अवैध निर्माणों से पैसे लेकर कार्रवाई से किया परहेज़

पूर्व पार्षद कौशल की शिकायत के अनुसार, देवेश कोठारी ने झोन क्रमांक 13 में कार्य करते हुए, जानबूझकर अवैध निर्माणों की जानकारी होने के बावजूद कोई विधिक कार्रवाई नहीं की। इसके स्थान पर, उन्होंने बिल्डरों से अवैध धन वसूली कर निर्माणों को नजरअंदाज़ किया। उनका यह कृत्य न केवल भ्रष्टाचार को दर्शाता है, बल्कि नगर विकास की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करता है।

IAS अधिकारियों की चुप्पी पर भी उठे सवाल

दिलीप कौशल ने अपने आरोपों में यह भी कहा है कि उन्होंने यह जानकारी तत्कालीन निगमायुक्त हर्षिका सिंह और दिव्यांक सिंह को दी थी, लेकिन दोनों अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। उनका यह रवैया प्रशासनिक लापरवाही और संरक्षण देने की मंशा को दर्शाता है।

अब लोकायुक्त करेगा विस्तृत जांच

कौशल ने अपनी शिकायत में भारतीय न्याय संहिता (BNNS) 2023 की धारा 467, 336, 340, 61(2) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(D) और 13(2) के तहत आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की थी। इस पर मध्यप्रदेश लोकायुक्त ने प्रारंभिक जांच के बाद केस नंबर 31/ई/2025 दर्ज कर लिया है और अब इस मामले में विस्तृत जांच की जाएगी।